Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर महाविकास अघाड़ी से लेकर महायुति दोनों ही गठबंधन अपनी पूरी ताकत के चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। इन सबके बीच सबसे अहम रोल कांग्रेस का है। लोकसभा चुनाव में नतीजों के बाद से पार्टी राज्य की राजनीति में विपक्षी गठबंधन MVA की लीडर बनती नजर आ रही है। ये वही कांग्रेस है जो कि जनाधार के लिहाज से तीसरी पार्टी मानी जाती थी, लेकिन अब वह लीड कर रही है।
दरअसल, 2019 में महाराष्ट्र चुनावों के बाद महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन में “तीसरे सहयोगी” के रूप में देखे जाने से लेकर हाल के लोकसभा चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन से प्रेरित होकर किस्मत में आए बदलाव तक, कांग्रेस खुद को चुनावी राज्य में ऐसी स्थिति में पाती है, जिसकी उसने इस साल की शुरुआत में कल्पना भी नहीं की होगी।
अब सीएम पद पर है कांग्रेस की नजर
ये वहां कांग्रेस है, जो कि साल 2019 में डिप्टी सीएम पद के लिए बातचीत करने में कामयाब नहीं रही थी, लेकिन अब वही कांग्रेस विधानसभा चुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रही है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस की नजर अब सीएम पद भी हैं। एमवीए में तीन दलों में से कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था, उसने 17 संसदीय सीटों में से 13 पर जीत हासिल की और सांगली के सांसद विशाल प्रकाशबाबू पाटिल ने भी पार्टी को समर्थन दे रखा है।
कांग्रेस के कायाकल्प में किसकी भूमिका?
उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा और 9 लोकसभा सीटें जीतीं, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने 10 निर्वाचन क्षेत्रों में से आठ पर जीत हासिल की, जहां उसने उम्मीदवार खड़े किए थे। कांग्रेस पार्टी में आई ताकत के पीछे अहम भूमिका अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथला की बताई जाती है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्रीय नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी थीं और उन्हें निर्देश दिया था कि वे अपने प्रयासों को केवल उन्हीं क्षेत्रों में केंद्रित करें, जो उन्हें सौंपे गए हैं।
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि दूसरे दर्जे के नेतृत्व को आश्वासन दिया गया था कि अगर वे नतीजे देने में कामयाब रहे, तो विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में उनका दबदबा रहेगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस का आधार मजबूत है। क्षेत्रीय नेता अगर भविष्य में बेहतर स्थिति देखते हैं तो वे नतीजे दे सकते हैं।
सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस ने बना लिया है प्लान
एमवीए सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस कुल 288 में से 110-115 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि शिवसेना (यूबीटी) के लिए 90-95 सीटें और एनसीपी (एसपी) के लिए 80-85 सीटें छोड़ी गई हैं। हालांकि अभी तक कुछ भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पार्टी आलाकमान 100 सीटों से कम पर सहमत होने की संभावना नहीं है।
उद्धव गुट को लग सकता है झटका
अगस्त की शुरुआत में उद्धव ठाकरे कांग्रेस आलाकमान के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली पहुंचे थे, बताया जाता है कि उन्होंने करीब 100 सीटों पर चुनाव लड़ने पर जोर दिया, लेकिन कांग्रेस ने महाराष्ट्र में हर पार्टी की चुनावी ताकत पर एक प्रेजेंटेशन दिया, जिसके आधार पर शिवसेना (यूबीटी) को इतनी सीटें मिलने की संभावना नहीं है।
कांग्रेस ने अपने सहयोगियों को बार-बार यह संदेश दिया है कि गठबंधन का सीएम चेहरा चुनाव से पहले घोषित नहीं किया जाएगा, साथ ही दिल्ली ने राज्य नेतृत्व को यह संदेश दिया है कि गठबंधन में “बड़े भाई” की तरह काम न करें और शीर्ष पद पर दावा करने से बचें। हालांकि, राज्य के नेताओं ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दावा करना जारी रखा है।
गौरतलब है कि दो हफ़्ते पहले, कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट ने कहा था कि अगला सीएम कांग्रेस से होगा। फिर, हाल ही में नागपुर में आयोजित एक पार्टी में भी कई नेताओं ने राज्य कांग्रेस के नेता नाना पटोले को महाराष्ट्र का अगला सीएम बताया था। पटोले के खिलाफ़ शुरुआती असंतोष के बावजूद उनके पक्ष में यह बात रही कि वह सबसे साफ छवि के नेता माने जाते हैं।
लोकसभा चुनाव वाली रणनीति पर काम कर रही कांग्रेस
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की सफलता के बाद उसी रणनीति पर काम करना शुरू किया है, जिसके तहत कांग्रेस ने क्षेत्रीय बैठकें पूरी कर ली हैं, जिसमें चेन्निथला पटोले और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ पूरे राज्य का दौरा कर रहे हैं। चेन्निथला ने पिछले हफ़्ते मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महाराष्ट्र के लोगों ने बीजेपी को हराने का फ़ैसला कर लिया है। महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में हमारी यात्राओं ने बीजेपी और राज्य सरकार के ख़िलाफ़ गुस्सा दिखाया है। हमें पूरा भरोसा है कि एमवीए अगली सरकार बनाएगी।