Maharashtra Politics: हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनावी नतीजों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा है। पार्टी भले ही एनसी के गठबंधन में होने के चलते सरकार बना रही हो लेकिन पार्टी ने वहां भी केवल 6 सीटें ही जीती हैं। पार्टी ने राज्य में 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था। दूसरी हरियाणा में बीजेपी ने तीसरी बार जीत दर्ज करके सरकार बनाने का रास्ता साफ कर लिया है। ऐसे में पार्टी को लगे झटके के बाद कांग्रेस की उसके ही सहयोगी दल मुसीबतें बढ़ाने लगे हैं। इंडिया ब्लॉक के कांग्रेस के साथियों ने पार्टी को आत्मचिंतन की सलाह दी है।
हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों के बाद अब बारी झारखंड दिल्ली और महाराष्ट्र की है। महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी में फूट के चलते जो कांग्रेस फ्रंट सीट पर नजर आ रही थी, उसके लिए अब चुनौतियां बढ़ गई हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब उद्धव गुट की शिवसेना हो या शरद पवार गुट की एनसीपी (SP)… दोनों ही सीट शेयरिंग पर कांग्रेस के लिए टेंशन बन सकती है, जिसका संकेक उद्धव गुट की राज्यसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने दे दिया है।
शिवसेना (UBT) ने खोला कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा
दरअसल, शिवसेना (यूबीटी) की नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस के लिए जीतने का मौका था, उन्हें आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि जब भी कोई सीधा मुकाबला होता है तो वे क्यों हारते हैं। महाराष्ट्र के लिए, सीट बंटवारे पर बातचीत चल रही है, लेकिन हरियाणा में नई वास्तविकता के साथ, हम उस पर भी गौर करेंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि मौजूदा व्यवस्था को खत्म किया जाए। हमें जमीनी हकीकत को भी देखना होगा।
समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को गठबंधन पर कोसा
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के सांसद और प्रवक्ता राजीव राय ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कांग्रेस को इस सोच से छोड़नी होगी कि वह विपक्षी इंडिया गठबंधन को लीड कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव में हमें कोई सीट नहीं दी और हुड्डा जी ने कहा कि हमारी पार्टी का राज्य में कोई आधार नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में भी यही हुआ था, जब कमलनाथ ने पूछा था कि अखिलेश यादव कौन हैं। कांग्रेस हमसे उन सीटों के लिए पूछती है, जहां उनकी कोई स्थिति नहीं है, लेकिन वे उन राज्यों में सीटें साझा नहीं करना चाहती, जहां वे मजबूत हैं।
TMC बोली – क्षेत्रीय दल हैं ताकत
सपा सांसद ने कहा कि उन्हें यह समझना होगा कि गठबंधन आपसी सम्मान के आधार पर चलना चाहिए और भविष्य में भी इसका पालन किया जाना चाहिए। कुछ इसी तरह की राज्यसभा सदस्य सागरिका घोष ने कहा कि इंडिया ब्लॉक में क्षेत्रीय दल गठबंधन में मुख्य ताकत हैं। आप लोकसभा के नतीजे देख सकते हैं। जहां इंडिया ब्लॉक ने अच्छा प्रदर्शन किया, वे राज्य थे जहां कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया था। यह क्षेत्रीय दल ही हैं जो बीजेपी का सीधा मुकाबला कर रहे हैं, और उसे हरा रहे हैं। कांग्रेस को यह एहसास होना चाहिए और आने वाले चुनावों में अपने सहयोगियों को बेहतर तरीके से समायोजित करना चाहिए।
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कुछ इसी तरह सीपीआई नेता डी राजा ने कहा कि इंडिया ब्लॉक में सीटों का बंटवारा उचित तरीके से नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इंडिया ब्लॉक की पार्टियों को आत्मचिंतन करना चाहिए। कांग्रेस को सीट बंटवारे पर आत्म-आलोचनात्मक होना चाहिए। आपसी विश्वास होना चाहिए।। हालांकि, आरजेडी ने अलग रुख अपनाया और उसके प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने कहा कि पार्टी को हरियाणा में कांग्रेस के लिए बेहतर नतीजों की उम्मीद थी।
ऐसे में यह माना जा रहा है कि विपक्षी एकता के दम पर मजबूत हुई कांग्रेस पार्टी एक बार फिर अपने ही सहयोगियों द्वारा कठिन चुनौतियों का सामना कर सकती है, जिससे उसके लिए महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक के चुनाव मुश्किल वाले हो सकते है।