Haryana Election Exit Poll Result 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर शनिवार 5 अक्टूबर को सभी 90 सीटों पर मतदान हुआ और 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे। उनसे पहले आए लगभग सभी एग्जिट पोल्स के नतीजों में कांग्रेस को 44- 65 सीटें मिलने तक का अनुमान है। एग्जिट पोल्स के नतीजे बता रहे हैं कि हरियाणा में दस साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो सकती है। हालांकि, BJP अभी भी यह दावे कर रही है कि वह तीसरी बार राज्य की सत्ता हासिल करने में कामयाब होगी।
वहीं एग्जिट पोल्स के नतीजों में कांग्रेस की बनती सरकार के बीच कांग्रेस के लिए एक नया मुद्दा सीएम के चुनाव को लेकर भी है, जो कि आने असल नतीजों के बाद आलाकमान के लिए एक बड़ी टेंशन हो सकता है। CM पद के लिए कांग्रेस के सभी दिग्गज अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं लेकिन इस मुद्दे पर जब उनसे उनकी राय पूछी जाती है, तो वे सब कुछ हाईकमान पर ही छोड़ देते हैं।
Haryana CM की रेस में सबसे आगे हुड्डा
अगर एग्जिट पोल्स के नतीजे 8 अक्टूबर को सही साबित होते हैं तो कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पहली दावेदारी पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा की मानी जा रही है, जो कि 2006 से 2014 तक, दो कार्यकाल के लिए सीएम रहे थे। पार्टी के लिए लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनाव में प्रचार की जिम्मेदारी हुड्डा के ही हाथों में ही थी, जिसके नतीजे लोकसभा में पार्टी के लिए पॉजिटिव रहे थे।
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कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा का साफ कहना है कि वे अभी रिटायर नहीं है। उनका स्पष्ट दावा है कि राज्य में इस बार कांग्रेस सरकार बना रही है। हालांकि सीएम के मुद्दे पर पर उनका कहना है कि यह आलाकमान ही तय करेगा कि हरियाणा का मुख्यमंत्री कौन होगा।
CM की रेस में कहां हैं कुमारी सैलजा?
पार्टी में ही पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा की धुर विरोधी मानी जाने वाली सिरसा से लोकसभा सांसद और AICC महासचिव कुमारी सैलजा भी सीएम पद की दावेदार मानी जा रही हैं। वह राज्य में पार्टी का एक प्रमुख दलित चेहरा है। सैलजा यूपीए सरकार के दौरान केंद्रीय कैबिनेट में भी रही हैं और गांधी परिवार की काफी करीबी मानी जाती हैं।
कुमारी सैलजा का कहना है कि पार्टी उनके बड़े राजनीति अनुभव को अनदेखा नहीं कर सकती है। उनका कहना है कि वह पार्टी के वफादार सिपाही के तौर पर काम करेंगी। हालांकि, हुड्डा की तरह ही सीएम पद को लेकर बात करने पर उनका कहना है कि सभी जानते हैं कि जो हाई कमान द्वारा तय किया जाएगा, हरियाणा का सीएम वही होग।
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दीपेंदर सिंह हुड्डा भी मजबूत दावेदार
एक चर्चा यह भी है कि अगर भूपिंदर सिंह हुड्डा सीएम की रेस से बाहर हो जाते हैं, तो उनके बेटे और रोहतक से लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए एक मजबूत दावेदार हो सकते हैं। कुमारी सैलजा की सीएम पद पर सीनियरटी के आधार पर दावेदारी को लेकर दिपेंदर सिंह हुड्डा कहते हैं कि उन्होंने जो कुछ भी कहा है, उसमें कुछ भी गलत नहीं है।
कांग्रेस में एक उचित प्रक्रिया है। पहली प्राथमिकता पार्टी को बहुमत प्राप्त करना और सरकार बनाना है। पार्टी हाईकमान के स्तर पर एक बैठक होती है, निर्वाचित विधायकों से सलाह ली जाती है और अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान द्वारा लिया जाता है। राज्य भर में अपनी सभी चुनावी रैलियों में दीपेंद्र ने कहा कि हरियाणा में बीजेपी सरकार जा रही है और कांग्रेस भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में अपनी सरकार बनाएगी।
हरियाणा CM की दौड़ में शामिल हैं रणदीप सिंह सुरजेवाला
हरियाणा में सीएम की दौड़ में एक नाम राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी है। कैथल में वोट डालने के बाद सुरजेवाला ने सीएम पद को लेकर कहा कि सीएम की कुर्सी की उम्मीद रखना गलत नहीं है। हम सीएम चेहरे के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा लिए गए फैसले को स्वीकार करेंगे । कांग्रेस में सुरजेवाला के करीबी उन्हें सीएम पद की दौड़ में एक ‘डार्क हॉर्स’ के तौर पर देख रहे हैं।
दलित चेहरा हो सकता है उदय भान
कांग्रेस पार्टी के सूत्र बताते हैं कि राज्य कांग्रेस प्रमुख और दलित नेता उदय भान, भी सीएम की रेस में हैं जो कि हुड्डा गुट के वफादार माने जाते हैं। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दिल्ली में एआईसीसी नेताओं के साथ एक बैठक में भान ने भी दावा किया था कि अगर पार्टी सीएम के तौर पर किसी दलित चेहरे का नाम बताएगी तो वह इसके लिए तैयार हैं।
चुनाव के दौरान सबने की दावेदारी
कांग्रेस के चुनाव प्रचार के दौरान ये सभी नेता सीएम बनने की ख्वाहिशों का संकेत दे चुके हैं। हुड्डा और दीपेंद्र दोनों ने भान के साथ मिलकर पूरे हरियाणा में खूब प्रचार किया, जबकि कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला ज्यादातर अपने खास इलाकों समेत दिल्ली में सक्रिय रहे। लोकसभा चुनावों में हुड्डा ने कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए आठ लोकसभा सीटों पर प्रचार किया था। यहां तक कि उन्होंने गठबंधन सहयोगी आप के उम्मीदवार के लिए कुरुक्षेत्र में भी कैंपेन किया था लेकिन वे कुमारी सैलजा के लिए सिरसा में चुनाव प्रचार करने नहीं गए थे।
कमजोर हो सकती है हुड्डा विरोधियों की दावेदारी
दिलचस्प बात यह भी है कि सुरजेवाला और सैलजा दोनों ही चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने नहीं दिया गया, जबकि सीनियर हुड्डा ने चुनाव भी लड़ा है। उन्होंने 72 सीटों पर अपनी पसंद के प्रत्याशियों को टिकट दिलवाए हैं। हालांकि कांग्रेस हाईकमान से जुड़े एक नेता का कहना है कि सीएम पद पर आखिरी फैसला चुनकर आए विधायक करेंगे। ऐसे में यह संभव है कि विधायक हुड्डा को ही अपनी पसंद मांनेंगे और अन्य की दावेदारी कमजोर होगी।