नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक संबोधन में इसका ऐलान किया। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद अब इसपर बहस छिड़ गई है कि क्या प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मामले को भी वापस लिया जाएगा या नहीं?

पिछले महीनों में दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय पुलिस द्वारा कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे, जिसको लेकर यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार इन मामलों को वापस लेगी या पुलिस इन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट या चार्जशीट दाखिल करेगी। इसी को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बयान दिया है।

हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा- “यदि ट्रैफिक जाम करने जैसी कोई गतिविधि है तो ऐसे मुद्दों पर मैं केंद्र के साथ भी चर्चा करूंगा और राज्य के भीतर भी ऐसे मामलों को वापस ले लिया जाएगा।” इस बीच, हरियाणा सरकार ने विधानसभा में बताया कि तीन कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ 136 मामले दर्ज किए गए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के कुछ पुलिस थानों में अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं।करीब 10,000 अज्ञात किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सोनीपत जिले में 26, अंबाला में 15 और कुरुक्षेत्र में 14 मामले दर्ज किए गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के एक बयान के अनुसार, हरियाणा में 2,500 से अधिक लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। यमुनानगर, अंबाला, करनाल, सिरसा, कुरुक्षेत्र, झज्जर, सोनीपत आदि में ये मामले दर्ज किए गए हैं।

दिल्ली में, कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ 39 मामले दर्ज किए गए है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फरवरी में संसद को इसकी जानकारी दी थी। गृह मंत्रालय ने कहा था- ‘दिल्ली पुलिस ने जानकारी दी है कि दिल्ली सीमा पर सितंबर से दिसंबर 2020 के बीच कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों के खिलाफ 39 मामले दर्ज किए गए हैं”। दिल्ली पुलिस ने यह भी बताया है कि दिल्ली सीमा पर कृषि कानूनों के विरोध के दौरान एक आत्महत्या का मामला भी दर्ज किया गया है।