HARYANA ASSEMBLY ELECTIONS: चुनाव आयोग ने शनिवार (21 सितंबर) को महाराष्ट्र और हरियाणा  विधान सभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों ने अपनी जीत के दावे शुरू कर दिए हैं। दोनों राज्यों की सत्तादधारी पार्टी बीजेपी ने दोनों ही राज्यों में जीत के दावे किए हैं। हरियाणा सरकार में वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने राज्य में 75 सीट जीतने  का  दावा किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी मिशन 75 के लिए काम कर रही है। साल 2014 में बीजेपी ने हरियाणा की 90 सदस्यों वाली विधान सभा  में 47 सीटें जीतीं थीं और पहली बार राज्य में सरकार बनाई थी। बीजेपी ने पंजाबी बिरादरी  से ताल्लुक रखने वाले मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाकर जातीय मिथक को न  सिर्फ तोड़ा बल्कि एक ऐसे शख्स को इस पद पर बिठाया दो कभी विधानसभा नहीं पहुंचा था।

हरियाणा में पांच साल पहले अपने मत प्रतिशत में आए जबरदस्त उछाल के कारण सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी को इस बार अपनी सत्ता बरकरार रखने तथा ‘मिशन 75 प्लस’ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बहु-स्तरीय बाधा का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा का मत प्रतिशत 2009 में लगभग नौ फीसदी था जो 2014 में जबरदस्त उछाल के बाद 33 प्रतिशत से अधिक पर पहुंच गया था। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला है। इन दोनों दलों के अलावा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), जननायक जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और स्वराज इंडिया पार्टी भी चुनावी मैदान में है। राज्य में चुनाव के दौरान विपक्ष द्वारा बेरोजगारी, युवाओं, किसानों, कर्मचारियों और पानी के मुद्दों को उठाये जाने की संभावना है। सत्तारूढ़ भाजपा सरकार में पारर्दिशता, भ्रष्टाचार को बिल्कुल सहन नहीं करने, योग्यता के आधार पर नौकरी देना, हरियाणा में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का कार्यान्वयन तथा राज्य एवं केंद्र सरकार की उपलब्धियां चुनाव के मुद्दे बना सकती है। पिछले पांच साल  में मनोहर लाल खट्टर के काम काज और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज खास कर हालिया फैसलों से बीजेपी जीत के प्रति आश्वस्त है। इसके अलावा पांच कारण ऐसे हैं जिसकी वजह से बीजेपी की जीत आसान हो सकती है।

मनोहर बीजेपी और पीएम मोदी की लोकप्रियता में इजाफा:
2014 में भारी बहुमत से सरकार बनाने वाली बीजेपी  सरकार ने पीएम मोदी की लोकप्रियता को बखूबी भुनाया। बीजेपी और पीएम मोदी की लोकप्रियता साल 2014 के बाद और बढ़ी है। साल 2014  के चुनाव परिणाम को दोहराते हुए बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में और अच्छा प्रदर्शन करते हुए बीजेपी प्रचंड बहुमत हासिल की। इसके पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर अपना परचम लहराया जो इस बात का सबूत है कि पार्टी की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। इसके अलावा ग्रामीण स्तर पर बीजेपी को हालिया निकाय चुनावों में भी जीत मिली है। यही कारण है  कि बीजेपी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है।

कमजोर विपक्ष: भाजपा की जीत का एक कारण यह भी हो सकता है कि सूबे में विपक्ष कमजोर है। कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी अंतर्कलह से जूझ रही है। कांग्रेस ने अशोक तंवर को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाकर कुमारी सैलजा को यह कमान सौंपी। वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाया। अशोक तंवर और भूपेंद्र हुड्डा के बीच मनमुटाव खुलकर सामने आया था। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पार्टी को लोगों के बीच अपना आत्मविश्वास हासिल करे। अमित शाह और बीजेपी की तैयारी देखकर लगता है कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को हरकत में आना चाहिए था लेकिन पार्टी अभी तक ऐसा करने में असफल रही है।

अन्य पार्टियों में एकजुटता की कमी:  गठबंधन का टूटना बीजेपी को सबसे बड़ी सफलताओं में से एक है। बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्षी पार्टियों द्वारा गठबंधन की मंशा अंतिम समय पर बिखरती नजर आई।आईएनएलडी और बहुजन समाजवादी पार्टी का गठबंधन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले टूट गया। यही हाल जेजेपी और बीएसपी के साथ भी हुआ। आम आदमी पार्टी और जेजेपी की का गठबंधन भी बेअसर साबित हुआ और चुनाव में करारी हार के बाद यह गठबंधन भी टूट गया।

केंद्र सरकार के बड़े फैसले: नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से  विधानसभा के चुनाव भी  पीएम मोदी के चेहरे पर लड़े जा रहे हैं। विधानसभा चुनावों में भी राज्य सरकारों के कामकाज से ज्यादा केंद्र सरकार के फैसलों को प्रथमिकता दी जा रही है। यही कारण है कि  इस विधानसभा चुनाव में भी केंद्र सरकार के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और तीन तलाक कानून जैसे फैसले भी बीजेपी के पक्ष में वोट खींचते नजर आएंगे।

चौटाला परिवार में फूट: जाटों के इर्द-गिर्द घूमने वाली हरियाणा की सियासत में चौटाला परिवार कभी अहम किरदार अदा करता था लेकिन परिवार में फूट के चलते अन्य पार्टियों को काफी फायदा हुआ। एक समय इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) जाटों की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाती थी। वर्तमान में इस पार्टी के 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भी चौटाला परिवार  की पार्टी की प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। पारिवार के एकजुट होने से जाटों के वोटों को साधने में आसानी होती लेकिन परिवार में फूट से जाट वोट  बिखर गए हैं जिसका फायदा गैर जाट वोटों को साधने वाली पार्टी यानी बीजेपी को मिल रहा है।