बंबई राज्य को दो भागों में बांटकर जब गुजरात का गठन किया गया तब वहां की राजनीति में कांग्रेस का वर्चस्व था। ऐसा कि लगातार 15 साल तक कांग्रेस को कोई पार्टी चुनौती नहीं दे सकी। लेकिन 1995 के बाद के दौर में बीजेपी गुजरात की बिगबॉस बनी। पटेलों के कंधे पर बैठकर बीजेपी ने जो समीकरण ईजाद किए जिनके सहारे वो 27 सालों से सत्ता का सुख भोग रही है। कांग्रेस चाहकर भी उसके जलवे को कम नहीं कर पा रही है।

गुजरात में पहली दफा 1960 में चुनाव हुए थे। 132 सीटों पर चुनाव हुए। कांग्रेस ने भौचक करने वाला प्रदर्शन करके 112 सीटों पर अपना कब्जा जमाया। कांग्रेस ने अपना पहला सीएम महात्मा गांधी के निजी चिकित्सक रह चुके जीवराज मेहता को बनाया। उनके बाद बलवंत राय मेहता को कमान मिली। पाकिस्तान के हवाई हमले में 1965 में मेहता की मौत हुई तो कांग्रेस की राजनीति में उठापटक शुरू हो गई। इमरजेंसी के चलते कांग्रेस को कुछ समय के लिए गुजरात की सत्ता से हाथ भी धोना पड़ा।

उसके बाद के दौर में आया माधव सिंह सोलंकी का युग। उन्होंने सियासत के ऐसे समीकरण गढ़े कि 1985 में कांग्रेस की सीटों की तादाद 149 तक पहुंच गई। ये अभी तक का रिकॉर्ड है। गुजरात में किसी भी दल को इतनी सीटें कभी नहीं मिली। बीजेपी ने उनके सियासी हथियारों की काट के लिए पटेलों को हथियार बनाया।

1990 में कांग्रेस के हाथों से सत्ता फिसल गई। बीजेपी ने जनता दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। बीजेपी ने कांग्रेस के समीकरणों की काट के लिए केशुभाई पटेल को आगे किया। पार्टी को पता था कि पटेल ही उसकी नैय्या को पार लगा सकते हैं। प्रयोग सफल रहा और 1995 में बीजेपी अपने दम पर सत्ता में आ गई। तब उसने 182 में से 121 सीटों पर कब्जा करके कांग्रेस के सारे समीकरण ध्वस्त कर डाले।

उसके आगे की कहानी एक इतिहास है। 1995 के बाद के दौर में बीजेपी गुजरात की सत्ता से कभी बाहर नहीं हुई। 2001 में गुजरात की राजनीति में नरेंद्र मोदी की एंट्री हुई। वो 13 साल तक सीएम रहने के बाद देश के पीएम की कुर्सी तक पहुंचे। हालांकि मोदी गुजरात की राजनीति से बाहर आ चुके थे। लेकिन फिर भी बीजेपी अपराजेय बनी रही।

गुजरात में पटेलों की आबादी करीब डेढ़ करोड़ यानी कुल आबादी का करीब 15 फीसदी है। आंकड़े को सीटों में बदलकर देखें तो गुजरात की कुल 182 सीटों में से 70 सीटों पर पाटीदार समाज का प्रभाव है। पिछली दफा यानि 2017 में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल के कांग्रेस जॉईन करने से कांग्रेस को बढ़त मिली।