Supreme Court Justice BV Nagarathna: सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने शनिवार राज्यपालों को लेकर बड़ी बात कही।शनिवार को एक स्पष्ट भाषण में बीवी नागरत्ना ने संवैधानिक अदालतों के समक्ष मुकदमेबाजी में राज्यों के राज्यपालों के शामिल होने पर गंभीर टिप्पणी की।

जस्टिस नागरत्ना ने राज्यपालों से कहा कि वे संविधान के अनुरूप कार्य करें, बजाय इसके कि उन्हें यह बताया जाए कि क्या करना है और क्या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट की जज नागरत्ना ने आगे कहा कि हाल की प्रवृत्ति यह रही है कि किसी राज्य के राज्यपाल या तो विधेयकों को मंजूरी देने में चूक या उनके द्वारा किए जाने वाले अन्य कार्यों के कारण मुकदमेबाजी का मुद्दा बन रहे हैं। किसी राज्य के राज्यपाल के कार्यों या चूक को संवैधानिक अदालतों के समक्ष विचारार्थ लाना संविधान के तहत एक स्वस्थ प्रवृत्ति नहीं है।

उन्होंने कहा कि हालांकि इसे राज्यपाल पद कहा जाता है, यह एक गंभीर संवैधानिक पद है और राज्यपालों को संविधान के अनुसार कार्य करना चाहिए, ताकि इस प्रकार की मुकदमेबाजी कम हो। राज्यपालों के लिए किसी कार्य को करने या न करने के लिए कहा जाना काफी शर्मनाक है। मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि उन्हें संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए कहा जाए।

सुप्रीम कोर्ट के जज हैदराबाद के नालसार विधि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अदालतों के परिचयात्मक सत्र और संविधान सम्मेलन के दौरान बोल रहे थे।

जज नागरत्ना की यह टिप्पणी ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के आचरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और केरल, तेलंगाना और पंजाब ने अपने-अपने राज्यपालों के खिलाफ हाल के दिनों में कोर्ट का रुख किया है।

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि शीर्ष अदालत देश की लोकतांत्रिक नींव को मजबूत करने के लिए भरसक कोशिश कर रही है।

नागरत्ना ने लंबे समय से लंबित अहम मामलों में तेजी से संविधान पीठों के गठन के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की प्रशंसा की। नोटबंदी मामले में अपनी असहमति पर उन्होंने खुलासा किया कि कैसे वह नोटों को वापस लेने के कदम के बाद आम आदमी की दुर्दशा से विचलित हो गई थीं।