उत्तर प्रदेश में खो चुकी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटी कांग्रेस पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों को लगता है कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल और प्रियंका गांधी में से किसी को 2017 विधानसभा चुनाव में यूपी के सीएम कैंडिडेट के तौर पर उतारा जाना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, यूपी में पार्टी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी इस बात से सहमत हैं कि राहुल गांधी या प्रियंका में से किसी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर उतरना चाहिए। उनका मानना है कि इससे प्रदेश के ब्राह्मणों में अच्छा संकेत जाएगा और वे पार्टी पर फिर से भरोसा करेंगे। लेकिन, यूपी के नए प्रभारी बने गुलाम नबी आजाद ने सोमवार (13 जून) को साफ कर दिया कि राहुल गांधी पीएम पद के लिए चेहरा हैं, सीएम पद के लिए नहीं। बताया जाता है कि मधुुसूदन मिस्त्री को हटा कर आजाद को प्रभारी बनवाने के पीछे प्रशांत किशोर ही हैं। उन्हें राज्य के लिए मुस्लिम या ब्राह्मण चेहरा चाहिए था। उनकी इसी मांग के मद्देनजर आजाद को यूपी का प्रभारी बनाए जाने की खबरें आ रही हैं।
कई नेता मानते थे कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी यूपी के सीएम कैंडिडेट की रेस में हैं। उनके नाम को लेकर भी पार्टी में मंथन चल रहा है। लेकिन, आजाद के आने के बाद लगता है शीला दीक्षित रेस में नहीं हैं। बिहार में नीतीश कुमार और लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी रणनीति बना चुके प्रशांत किशोर कांग्रेस नेताओं के साथ कई दौर की बैठकें कर चुके हैं। उनका मानना है कि यूपी में कांग्रेस को सिर्फ ब्राह्मण ही सत्ता में ला सकते हैं, जिनकी आबादी प्रदेश में 10 से 12 प्रतिशत हैं।
ग़ुलाम नबी आज़ाद के UP का प्रभारी बनते ही प्रशांत किशोर के आइडिया को पहला झटका। कहा राहुल PM का चेहरा CM का नहीं। pic.twitter.com/56RcZ63hOX
— umashankar singh (@umashankarsingh) June 13, 2016
उत्तर प्रदेश में करीब 20 करोड़ लोग रहते हैं, इस लिहाज से यूपी और पंजाब के नतीजे काफी हद तक ये तय करेंगे कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। 2014 में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 71 लोकसभा सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के लिए सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी ही अपनी-अपनी सीट बचा पाए थे। इन्हीं स्थितियों के मद्देनजर और उत्तर प्रदेश में जीत की अहमियत को भांपते हुए कांग्रेस प्रशांत किशोर की शरण में गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें काफी अहमियत भी दे रहे हैं। करीबी सूत्र बताते हैं कि प्रशांत को इस बात की छूट है कि वह राहुल गांधी से कभी भी, कहीं भी संपर्क कर सकते हैं।
प्रशांत वही शख्स हैं जिन्होंने मॉडर्न तकनीक के इस्तेमाल से मोदी को नई दिल्ली पहुंचा दिया। किशोर अब उन्हीं तरीकों से काम करना चाहते हैं, जैसे मोदी और बीजेपी करती है। 38 साल के प्रशांत के पास रिसर्चर्स की एक टीम है जो जनगणना के डाटा को एनालाइज कर हर सीट पर उन्हें वोट में तब्दील करती है। लेकिन, यूपी में प्रशांत किशोर के लिए चुनौती बड़ी है। इसकी वजह यह है कि राज्य में जहां कांग्रेस अपना आधार खो चुकी है, वहीं नेताओं की अंदरूनी खींचतान बची-खुची उम्मीदों पर भी पानी डालती लग रही है।
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