देशभर में जहाँ एक तरफ व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान चल रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ बिहार में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है। फर्जी नाम और मोबाईल नंबर के सहारे स्वास्थ्यकर्मियों के द्वारा  फर्जी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। फर्जी रिपोर्ट में स्वास्थ्यकर्मियों के द्वारा गलत तरीके से किसी भी व्यक्ति का नाम , उसकी उम्र और फोन नंबर को शामिल कर पटना भेज दिया जा रहा है। हालाँकि इस तरह के मामले सामने के बाद वरीय अधिकारी सतर्क हो गए हैं।

दरअसल पिछले महीने में तीन दिनों में बिहार के जमुई जिले के तीन स्वास्थ्य केंद्र पर 588 लोगों की कोरोना जांच की गयी जिसमें से सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई। हालाँकि जब द इंडियन एक्सप्रेस ने इस लिस्ट की जांच की तो इसमें बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। जमुई जिले के बरहट स्वास्थ्य केंद्र पर 230 लोगों के नाम की लिस्ट थी जिसमें से सिर्फ 12 नाम ही वैध थे। वहीँ जमुई सदर के 150 नाम की लिस्ट में सिर्फ 65 लोगों की जानकारी ही सही पायी गयी। इसके अलावा जमुई जिले के ही सिकंदरा स्वास्थ्य केंद्र पर ही यही हाल रहा। यहाँ कागज पर 208 लोगों के नाम अंकित थे जिसमें से सिर्फ 43 को ही सही पाया गया।

रिपोर्ट में बरहट में आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने वाले 26 लोगों के नाम पर एक ही मोबाइल नंबर दर्ज किया गया है। जो नंबर लिखा गया है वो बरहट से  100 किलोमीटर दूर रहने वाले बैजू रजक का है। जब बैजू रजक से इंडियन एक्सप्रेस ने संपर्क किया तो उसने कहा कि वे इनमें से किसी को नहीं जानते हैं और मेरे परिवार से कोई भी कोरोना जांच के लिए नहीं गया है। राज्य में अभी तक कोरोना के कुल 2,4,447 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें से 754 अभी सक्रिय हैं वहीं करीब 1,518 लोगों की मौत भी चुकी है।

कोरोना जांच में हेरफेर के मामले के सामने के बाद जमुई जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुधांशु लाल ने कहा कि हमें कोविड परीक्षण के आंकड़ों में गड़बड़ी की कुछ शिकायतें मिली हैं। हमने बरहट पीएचसी के चिकित्सा अधिकारी के वेतन को भी रोक दिया है। इसके अलावा मामले की जांच भी की जा रही है। वहीँ द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बिहार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि हम सभी स्तरों पर इसकी जांच करेंगे। हमने इस मामले में सभी सिविल सर्जनों से इसकी रिपोर्ट भी मांगी है।