देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं और अर्थव्यवस्था पस्त होने लगी है। असर पिछले साल से ज्यादा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को लेकर वित्त मंत्रालय या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से अभी तक चुप्पी है। तीसरा हफ्ता आते-आते देश के लगभग सभी हिस्सों से पूर्णबंदी या अलग-अलग तरह के प्रतिबंधों की खबरें आने लगी हैं।
कारखानों के उत्पादन पर असर पड़ने लगा है, बड़े-बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में बंदी होने लगी है। थोक बाजार बंद किए जाने लगे हैं और संभलने की कोशिश कर रहे रेस्तरां-होटल व्यवसाय फिर से लड़खड़ाने लगे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था को अभी ही 1.25 अरब डॉलर का नुकसान होने का आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने जता दिया है। देश का उत्पादन क्षेत्र व सेवा क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। वित्त मंत्रालय के शीर्ष पदाधिकारी या वित्त मंत्री स्तर तक से हालात को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है, लेकिन नीति निर्धारण विषयों से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि केंद्र सरकार आर्थिक हालात का गहराई से जायजा ले रही है। सरकार का इरादा पिछले साल की तरह देशव्यापी पूर्णबंदी लगाने का नहीं है, लेकिन इसकी भी योजना नहीं है कि अर्थव्यवस्था को 2020 की तरह कोई प्रोत्साहन पैकेज दिया जाए। मदद का आकलन किया जा रहा है, जो मदद दी जाएगी, वह जरूरत के हिसाब से होगी।
अर्थशास्त्री विवेक कौल कहते हैं कि अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर इस लहर का असर दिखने लगा है, वाहन उद्योग से लेकर भवन निर्माण, बैंकिंग सेवाएं, परिवहन, पर्यटन, मनोरंजन, सेवा क्षेत्र, उत्पादन क्षेत्र- सभी पर असर दिखने लगा है। ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ (सीएमआइई) के आंकड़े हैं कि 31 मार्च तक बेरोजगारी 6.5 फीसद थी, जो 18 अप्रैल तक 8.4 फीसद तक बढ़ गई है। इसके अलावा, कई ऐसे प्रभाव दिखेंगे, जो बाद में दिखेंगे- सरकार के कर संग्रह में कमी आएगी, कंपनियां नुकसान कम करने के लिए कीमतें बढ़ाएंगी और अपने खर्च कम करेंगी। विश्व बैंक ने पहले कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था 13.5 फीसद की गति से बढ़ेगी, पर अब उसने अपने अनुमान में अभी ही दो फीसद की कटौती कर दी है।
सीएमआइई की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी समस्या व्यापार, कारोबार, उत्पादन की गति को बनाए रखने की है। झारखंड, तेलंगाना, राजस्थान, तमिलनाडु, पंजाब में पूर्णबंदी की घोषणा हो चुकी है। कई राज्य रात्रि कर्फ्यू या ऐसे ही प्रतिबंध लगा चुके हैं। प्रतिबंधों से कारोबार में बाधा पहुंच रही है। माल की ढुलाई प्रभावित हो रही है। खपत घट रही है, जो हमारी अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। दूसरी लहर के कारण 25 करोड़ से ज्यादा लोगों की आर्थिकी प्रभावित हुई है।
शहरों से मजदूरों का पलायन हो रहा है। 30 फीसद से ज्यादा मजदूरों की घर वापसी से खुदरा व्यापार, भवन निर्माण, मॉल और दुकानों के कारोबार पर असर है। कारोबारी संगठन शॉपिंग सेंटर एसोसिएशन आफ इंडिया के मुताबिक, उद्योग प्रति माह राजस्व में 15 हजार करोड़ रुपए कमा रहा था, लेकिन स्थानीय प्रतिबंधों के साथ लगभग 50 फीसद की गिरावट आई है। वाहनों के कारखानों में उत्पादन 60 फीसद कम हो गया है। इस कमी से रोजाना 100 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा हो रहा है। रियल एस्टेट कारोबार 48 फीसद घटा है।
ब्रिटिश ब्रोकरेज कंपनी बर्कलेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अर्थव्यवस्था को हर सप्ताह औसतन 1.25 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है। बर्कलेज के अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया और श्रेया सिधानी के मुताबिक, इससे चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 1.40 फीसद प्रभावित हो सकती है। मई के अंत तक आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधियों का सामूहिक नुकसान 10.5 अरब डॉलर व मौजूदा मूल्य पर जीडीपी का नुकसान 0.34 फीसद का रह सकता है। तिमाही आधार पर जीडीपी में 1.40 फीसद की गिरावट आएगी।