Delhi Ordinance Bill: राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा के दौरान देश के पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने बिल का समर्थन किया। गोगोई ने कहा कि मेरे लिए यह बिल सही है। किसी के लिए गलत हो सकता है। सदस्य पार्टी की विचारधारा के हिसाब से अपना मत रखते हैं।

रंजन गोगोई ने कहा कि यह कहना गलता है कि मामला कोर्ट में लंबित है। इस पर सदन में बिल नहीं आ सकता। उन्होंने आगे कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष जो लंबित है, वो अध्यादेश की वैधता है और दो प्रश्न संविधान पीठ को भेजे गए हैं और इसका सदन में बहस से कोई लेना-देना नहीं है। पूर्व सीजेआई ने कहा कि विधेयक पूरी तरह से सही है।

पूर्व सीजेआई ने कहा कि केंद्र का अध्यादेश आज जिस स्थिति में है, उसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अतिक्रमण नहीं कहा जा सकता। संसद के पास दिल्ली जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के लिए कानून बनाने का अधिकार है।

रंजन गोगोई के भाषण का विरोध करते हुए चार महिला सांसद राज्यसभा से बाहर चली गईं। जिसमें समाजवादी पार्टी सांसद जया बच्चन, शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुवेर्दी, एनसीपी सांसद वंदना चव्हाण और टीएमसी सांसद सुष्मिता देव शामिल थीं।

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल चर्चा और मतदान के लिए पेश किया। फिलहाल इस बिल पर चर्चा हो रही है। कांग्रेस ने इस बिल को संविधान के खिलाफ बताया। कांग्रेस ने कहा कि दिल्ली में सुपर सीएम बनाने की कोशिश हो रही है।

आम आदमी पार्टी ने कहा कि इससे ज्यादा असंवैधानिक, गैर-कानूनी बिल शायद ही आज तक संसद में लाया गया होगा। इससे पहले, तीन अगस्त को लोकसभा ने इस बिल को हरी झंडी दे दी थी। बिल को लेकर NDA और I.N.D.I.A गठबंधन के सांसद लामबंद हैं, लेकिन बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन के बाद नंबर NDA के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं।

दिल्‍ली सेवा बिल को लेकर आम आदमी पार्टी सबसे ज्‍यादा मुखर है। राज्‍यसभा में बिल पर चर्चा के दौरान आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा, ‘इससे ज्यादा असंवैधानिक, गैर-कानूनी बिल शायद ही आज तक संसद में लाया गया होगा। राघव चड्ढा ने कहा कि हम न्याय की गुहार लगाने आए हैं, आपने हक से ज्‍यादा मांगने नहीं आए हैं। यह बिल एक राजनीतिक धोखा है। उन्‍होंने इसे एक संवैधानिक पाप बताया और कहा कि ये दिल्ली में एक प्रशासनिक गतिरोध खड़ा कर देगा।

दिल्ली सेवा बिल पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘यह बिल एक सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाता है और अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग में उसे व्यापक शक्तियां देता है। उन्‍होंने कहा कि कौन, किसी और कि सरकार में वित्त सचिव बनेगा, पीडब्‍ल्‍यचूडी सेक्रेटरी बनेगा, यह LG तय करेंगे।’ सिंघवी ने कहा कि इस अथॉरिटी में 3 व्यक्ति हैं – मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी. मुख्यमंत्री को अध्यक्ष बनाया गया है। ये अजीब सा अध्यक्ष है, एक चेयरमैन है बिना चेयर का। मैंने आज तक अपने सीमित अनुभव में नहीं देखा की एक इलेक्टेड चीफ एग्जीक्यूटिव दो सचिवों के नीचे आएगा।’ बता दें, इस बिल के पास होने के बाद दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर पर उपराज्यपाल का फैसला अंतिम माना जाएगा।