पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-NCR प्रदूषण से बेहाल है में वायु गुणवत्ता अब भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है। अशोक विहार में AQI 462, आरके पुरम में 461, पंजाबी बाग में 460 और ITO में 464 है। हालांकि, गुरुवार सुबह हुई बारिश से प्रदूषण स्तर में हल्की गिरावट आई है। पड़ोसी राज्यों यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में पराली जलाए जाने की वजह से दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दाखिल याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

शुक्रवार दोपहर साढ़े 12 बजे से मामले की सुनवाई होनी है। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच कर रही है। मामले में पिछली सुनवाई 7 नवंबर को हुई थी। तब न्यायाधीश संजय किशन कौल ने दिल्ली से सटे पड़ोसी राज्यों की सरकारों को सख्त आदेश दिया था कि पराली जलाना तुरंत बंद करें। उन्होंने सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा था कि प्रदूषण को देखकर हमारा सब्र खत्म हो रहा है। अगर हमने एक्शन लिया तो हमारा बुलडोजर रुकेगा नहीं।

आस-पास के राज्य प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन नहीं करते- सौरभ भारद्वाज

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, “बारिश की वजह से वायु गुणवत्ता में सुधार दिख रहा है। हमें उम्मीद है कि इसमें और सुधार होगा। हम ऑड-ईवन योजना के कार्यान्वयन पर अपना अध्ययन सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे। अगर जरूरत पड़ेगी तो ऑड-ईवन की तरफ बढ़ेंगे।”

वहीं, दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, “दिल्ली की भूवैज्ञानिक स्थिति ऐसी है कि आस-पास के राज्यों से प्रदूषण का धुआं आता है। दिल्ली के आस-पास के राज्य प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन नहीं करते हैं। दिल्ली में बसें CNG हो गई हैं, सभी थर्मल पॉवर प्लांट बंद हो गए हैं लेकिन आसपास के राज्यों में ऐसा नहीं है। सब राज्यों को कोशिश करनी पड़ेगी और केंद्र को भी भागीदारी देनी पड़ेगी।”

वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में घटते भूजल पर चिंता जताई और कहा कि राज्य में धान की खेती चरणबद्ध तरीके से बंद करने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा, “पंजाब में जल स्तर नीचे जा रहा है। हम वहां एक और रेगिस्तान नहीं चाहते। धान का उत्पादन चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की जरूरत है।”