लोकनायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा सुरेश कुमार ने गुरुवार को बताया कि कोरोना विषाणु से संक्रमित एक नवजात को इस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगले कुछ सप्ताह में दिल्ली में कोविड के मामले चरम पर पहुंच सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में बुधवार को पहली बार एक दिन में संक्रमितों की संख्या 1,000 को पार कर गई।

पिछले सात महीनों में ऐसा पहली बार हुआ। शहर में संक्रमण की दर 23.8 फीसद रही। राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को कोविड के 1,149 नए मामले आए थे जबकि संक्रमण से एक व्यक्ति की मौत हुई थी। एलएनजेपी के चिकित्सा निदेशक डा कुमार ने बातचीत के दौरान बताया कि अस्पताल में मास्क लगाना अनिवार्य है।

दो हजार बिस्तरों वाला यह अस्पताल दिल्ली सरकार के मातहत आने वाला शहर का सबसे बड़ा अस्पताल है। डा कुमार ने कहा, बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है, ऐसे में हमें उनके लिए एहतियात बरतने की जरूरत है क्योंकि उनमें बुखार, खांसी-सर्दी, आंखों में संक्रमण और पेट के संक्रमण जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं।हमारे अस्पताल में 18 दिन के नवजात को भर्ती कराया गया है और वह कोरोना से संक्रमित है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में चार और बच्चे भर्ती हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों और सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना सही है, वरिष्ठ नागरिकों को भी मास्क लगाना चाहिए।

सावधानी बरतना हमेशा बेहतर होता है

डा कुमार ने कहा, हम अगले एक-दो सप्ताह में कोविड के मामलों को चरम पर देखेंगे, और फिर उनमें गिरावट आने लगेगी। उन्होंने कहा, हमने अस्पताल में मरीजों, खासतौर से बच्चों के लिए पूरे प्रबंध किये है, क्योंकि संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। दिल्ली में कोविड के मामलों में वृद्धि के बीच चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का नया स्वरूप एक्सबीबी.1.16 इस वृद्धि के लिए जिम्मेदार हो सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है और लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए टीके की एहतियाती खुराक (बूस्टर डोज) जरूर ले लेनी चाहिए।

‘बच्चों के लिए मास्क हानिकारक’

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों के लिए मास्क अनिवार्य किया जाना अवैज्ञानिक और हानिकारक है।
उन्होंने कहा कि सही ढंग से मास्क नहीं लगाने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है और कोविड के स्थानिक बनने के कारण मास्क की सीमित भूमिका रह गई है।

हालांकि, सरकार ने फिलहाल कोविड संबंधी कोई दिशानिर्देश या मास्क लगाने का आदेश नहीं दिया है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 200 निजी स्कूलों ने मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पहले ही छात्रों और कर्मचारियों के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया है। कार्य चिकित्सा विशेषज्ञ व संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि जब बीमारी स्थानिक होती है, तो सभी आयु समूहों व बच्चों के लिए मास्क का लाभ और भी कम हो जाता है।

फिर, हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि मास्क सही ढंग से नहीं लगाने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। यदि बच्चे मास्क को छूते रहेंगे, तो यह उन्हें संक्रमण के प्रति संवेदनशील बना देगा। लहरिया ने कहा कि महामारी के दौरान भी, डब्ल्यूएचओ ने पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मास्क की सलाह नहीं दी थी। पांच से 12 साल की उम्र के बच्चों के लिए भी मास्क अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक थे। इनका लाभ न के बराबर था, लिहाजा मास्क अनिवार्य नहीं हैं।