Coronavirus के केस भारत में रिपोर्ट करने के मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे फिसड्डी हैं, जबकि दक्षिणी हिस्से में आने वाला कर्नाटक अव्वल है। यह खुलासा स्टैन्फ़र्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) के रिसर्चर्स द्वारा बनाए गए COVID-19 Data Reporting Index से हुआ है, जो कि उन्होंने अपनी स्टडी के लिए तैयार किया है।
शोध के मुताबिक, भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना के मामलों को रिपोर्ट करने को लेकर असमानता है। हालांकि, इस स्टडी की अब तक बारीकी से समीक्षा नहीं हुई है, मगर यह 21 जुलाई को medRxiv में प्रीपिंट के तौर पर प्रकाशित हो चुकी है।
‘The Print’ की रिपोर्ट में कहा गया- शोधार्थियों ने इसमें सूबों को उनकी उपलब्धता, पहुंच, विवरण के स्तर और निजता (कोरोना जांच रिपोर्ट करने के मामले में) के आधार पर रैंक दी है। यही फ्रेमवर्क 29 राज्यों के COVID-19 Data Reporting Score (CDRS) को कैल्कुलेट करने के लिए इस्तेमाल किया गया था, जिसमें दो हफ्ते (19 मई से 1 जून) का वक्त लगा था। CDRS की रेंज शून्य (न्यूनतम) से अधिकतम एक (अधिकतम) के बीच रही।
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शोधार्थियों ने पाया कि कर्नाटक में CDRS 0.61 (अच्छा) था, जबकि बिहार और यूपी में ये 0.0 (खराब) था। कुल मिलाकर कहें तो पूरे देश में कोरोना के केस रिपोर्ट करने की गुणवत्ता महज 0.26 थी, जो दर्शाता है कि कोरोना के केस देश भर में रिपोर्ट करने में काफी लचर स्थिति है।
जिन राज्यों में 18 मई तक कुल 10 पुष्ट मामलों से कम थे, उन्हें इसे बाहर रखा गया। बताया गया कि हर प्रदेश में पहला कोरोना केस कम से कम शोध से एक महीने पहले रिपोर्ट किया गया, जिसका मतलब है कि इन लोगों के पास उच्च गुणवत्ता वाले डेटा रिपोर्टिंग सिस्टम को तैयार करने का कम से कम एक महीने का वक्त था।

18 मई तक के स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा के अनुसार, देश में कोरोना के कुल पुष्ट केस 96,000 के आसपास थे। कोरोना के सर्वाधिक कन्फर्म केस वाले शीर्ष 10 राज्यों का देश के कुल पुष्टि मामलों में 91% योगदान था।
इन टॉप 10 स्टेट्स में तमिलनाडु ही इकलौता सूबा था, जिसका CDRS सबसे अधिक था। शोध के मुताबिक, आंकड़ा- 0.51 था। शोधार्थियों ने इस बाबत लिखा- यह बताता है कि जिन राज्यों में अधिक केस हैं, वहां भी कोरोना पर मामलों की रिपोर्टिंग खराब हो सकती है। यह चीज आने वाले समय में इस वैश्विक महामारी की चुनौतियों को और मुश्किलदेह बना सकती है।
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10 सूबों ने आयु, लिंग के आधार पर नहीं दिया डेटाः कोरोना के लिए Indian Council of Medical Research’s (ICMR) का रेफरल फॉर्म यह मांग करता है कि स्वास्थ्य कर्मचारी डेटा को आयु, लिंग, जिला और कोमोर्बिडिटीज के आधार पर रिकॉर्ड करें। स्टडी में 10 सूबे ऐसे पाए गए, जिन्होंने डेटा को इस निर्धारित पैमाने में से किसी पर नहीं मापा था। शोध के अनुसार, असम और गुजरात ने कुल केसों की संख्या बताई, जबकि केरल ने कुल मामलों और कोरोना पर ट्रेंड्स की जानकारी भी मुहैया कराई।
कौन अव्वल और कौन फिसड्डी?: कोरोना के मामले रिपोर्ट करने के मामले में कर्नाटक (0.61) सबसे ऊपर रहा, जिसके बाद केरल (0.61), ओडिशा (0.51), पुडुचेरी (0.51) और तमिलनाडु (0.51) है। वहीं, पस्त सूबों में यूपी (0.0), बिहार (0.0), मेघालय (0.13), हिमाचल प्रदेश (0.13) और अंडमान व निकोबार द्वीप (0.17) रहे, जहां सबसे कम कोरोना के केस रिपोर्ट किए गए।
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कोरोना पर डेटा ऐसे रिपोर्ट करा सूबों नेः स्टडी के मुताबिक, सबसे कम CDRS स्कोर वाले सूबों में शामिल बिहार और यूपी तो अपनी सरकारी और स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट्स पर कोरोना से जुड़े डेटा भी नहीं जारी करते हैं। हालांकि, बिहार सिर्फ टि्वटर पर इसे प्रकाशित करता है, पर इसे सभी के लिए आसानी से हासिल किया जाने वाला डेटा नहीं माना जा सकता है। हिमाचल प्रदेश, मेघालय, अंडमान और निकोबार द्वीप ने केवल कुल केस की गणना की, पर इन्होंने रोज का रोज डेटा नहीं मुहैया कराया। न ही कोरोना से जुड़े ट्रेंड और ग्रानुलर डेटा दिया।