Coronavirus, Lockdown in India: वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने एक ट्वीट के जरिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने खुद की लिखी हुई एक खबर का लिंक शेयर करते हुए शुक्रवार (22 मई, 2020) को लिखा, ‘मोदी सरकार अदूरदर्शी है, असंवेदनशील भी है। बिना किसी वैज्ञानिक आधार के लॉकडाउन पर फैसले हो रहे हैं?’ ट्वीट के बाद वरिष्ठ पत्रकार सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं।

ट्विटर यूजर मधु शर्मा @madhu_surana लिखती हैं, ‘मोदी जी में इतनी काबिलियत थी इसलिए मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन गए। इसके लिए मेहनत करनी पड़ती हैं। तुम अपने आप को देख ले। दुनिया जहां मोदी जी को मानती है, वहीं तुम जैसे लोग एक दिन ऐसा नहीं जाता है कि पीएम के खिलाफ जहर नहीं उलगा हो।’ प्रिया पांडे @pandeyji10511 लिखती हैं, ‘हम लिखते है – आशुतोष तो &*&# हैं। बिना किसी जानकारी के सुबह शाम काउ काउ करते रहते हैं।’

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इसी तरह रंजना पटेल @ranjnapatel77 लिखती हैं, ‘इनके अगर पिछले सौ ट्वीट पढ़ेंगे तो उसमें कहीं ना कहीं आपको यह लिखता हुआ मिल जाएगा कि मोदी सरकार जल्दी फैसला ले। लॉकडाउन का मोदी सरकार ने देर में फैसला लिया। इनको सिर्फ मोदी सरकार के खिलाफ लिखने के पैसे मिलते हैं ?’ एक यूजर @Advice03431142 लिखते हैं, ‘तुम बहुत बड़े दूरदर्शी हो? इसलिए पत्रकारिता छोड़ राजनीति में उतरे, वहां से जब कान पकड़कर बाहर निकाल दिया तो वापस पत्रकारिता।’

आत्मनिर्भर @troublescooter नाम से एक यूजर लिखते हैं, ‘झूठ बोले कौवा काटे, क्या आशुतोष आज खुद को काटेंगे?’ लीलाधर भारतीय @BarethLeeladhar लिखते हैं, ‘तुम उसे दूरदर्शी सीखा रहे हो जिसने बिना किसी नुकसान 370 हटा दिया, जिसने दो बार स्ट्राइक कर दी, चार आंख होकर तुम्हें बाजू में भी नहीं दिखता तो अदूरदर्शी कौन? पूछती है जनता।’

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बता दें कि एक हिंदी समाचार वेबसाइट में पत्रकार आशतोष ने ‘कोरोना: मोदी सरकार की अदूरदर्शिता का ख़ामियाज़ा देश भुगत रहा है’ शीर्षक से लिखे गए एक लेख में केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर निशाना साधा है। लेख में उन्होंने लिखा, ‘देश में लॉकडाउन को दो महीने हो गए। इन दो महीनों में देश कोरोना से लड़ाई से हारा या जीता। ये सवाल उठना चाहिए। ये सवाल भी पूछना चाहिए कि पीएम ने 21 दिनों में कोरोना को हराने का जो वचन दिया देश को दिया था, उस वचन का क्या हुआ। देश आज क्या 24 मार्च से ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहा है। या संकट बढ़ गया है? और अगर संकट बढ़ गया है तो इसके जिम्मेदार कौन?’