Coronavirus in India: घातक कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद हजारों की तादाद में प्रवासी मजदूर माथे पर पोटली और कंधो पर बच्चों को लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घर पहुंचे के लिए पैदल निकल पड़े हैं। पीएम ने 24 मार्च को 21 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। हालांकि गृह मंत्रालय ने आज राज्यों से भोजन और आश्रय के साथ प्रवासियों की मदद करने और उन्हें राज्यों से बाहर जाने से रोकने का आग्रह किया है।

दक्षिण अफ्रीका के उदाहरण का हवाला देते हुए एक अधिकारी ने कहा, ‘लॉकडाउन को चार घंटे के नोटिस पर नहीं, बल्कि बेहतर तरीके से योजनाबद्ध तरीके से लागू जा सकता था।’ यही कारण है कि लॉकडाउन के दौरान ऐसी कई रिपोर्ट सामने आईं कि पुलिस ने सब्जी की कई गाड़ियों को रोका, जो भोजन की आपूर्ति करने में जुटी थीं। ऐसे में पीएम के भाषण के बाद से लगभग हर दिन गृह मंत्रालय ने आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को लॉकडाउन से छूट दी है।

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उल्लेखनीय है कि केंद्र और राज्यों के बीच एक बैठक के बाद 22 मार्च के जनता कर्फ्यू के ठीक बाद 31 मार्च तक तालाबंदी की घोषणा की गई थी। इस बीच कई राज्यों ने महामारी रोग अधिनियम, 1897, और प्रतिबंधित सार्वजनिक समारोहों और गैर-आवश्यक आंदोलन को लागू किया। इसके एक दिन बाद यानी 23 मार्च को, कैबिनेट सचिव राजीव गोबा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखा कि प्रतिबंध ‘सख्ती से लगाए जाएं।’

इसी बीच 24 मार्च को रात 8 बजे पीएम की घोषणा के बाद, गृह मंत्रालय ने प्रतिबंधों पर दिशा-निर्देश जारी किए और कहा कि ‘राशन की दुकानें जिनमें भोजन, किराने का सामान, फल ​​और सब्जियां, डेयरी और दूध डेयरी, मांस और मछली, पशु चारा’ को छूट दी गई है। मगर 25 मार्च को जमीनी स्तर पर अराजकता देखी गई, दुकानों पर जरूरी सामानों की आपूर्ति नहीं पहुंच रही थी, क्योंकि ट्रकों को सीमा पार करने की अनुमति नहीं थी, सब्जी और फलों के खोखे पुलिस द्वारा जबरन बंद कर दिए गए थे। डॉक्टरों को राज्यों की सीमाओं को पार करने की अनुमति नहीं दी गई थी। ई-कॉमर्स डिलीवरी स्टाफ को भी पीटा गया था, उनके गोदामों को शटर डाउन करने के लिए मजबूर किया गया था। हालांकि उसी दिन शाम तक गृह मंत्रालय ने अपने प्रतिबंधात्मक आदेशों में और छूट दी।

26 मार्च को गृह मंत्रालय ने फिर से एक स्पष्टीकरण जारी किया कि उसके दिशानिर्देशों में ‘पशु चारा’ के लिए छूट शामिल है और स्वीकार किया कि कुछ राज्य इसपर अमल नहीं कर रहे। 27 मार्च को मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देशों के लिए एक और परिशिष्ट जारी किया। इस बार इसने खेती से संबंधित विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं को आवश्यक (essentials) चीजों में जोड़ा।

गौरतलब है कि मुंबई और पुणे से बाहर काम करने वाले प्रवासियों का पलायन (यूपी और बिहार में उनके घरों में वापस जाने) नौकरियों की शिकायत और महामारी के डर से 22 मार्च को जनता कर्फ्यू से पहले ही शुरू हो गया था। फिर भी, उस दिन 31 मार्च तक के लिए तालाबंदी की गई और रेलवे ने दोपहर तक, ट्रेनों के निलंबन के आदेश 31 मार्च तक जारी कर दिए। इसके परिणाम स्वरूप फंसे, बंद और भयभीत प्रवासी घर जाने के लिए सड़कों नजर आए। मंत्रालय द्वारा जारी विभिन्न गाइडलाइन्स के बावजूद ये मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं।

जानना चाहिए कि शनिवार (28 मार्च, 2020) को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 748 हो चुके हैं। इनमें 67 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई और 19 लोगों की मौत हो गई।