Coronavirus in India: घातक कोरोना वायरस के दायरे को सीमित करने के लिए देश में 21 दिनों का लॉकडाउन जारी है। केंद्र सरकार ने निजी-सरकारी कंपनियों और मंत्रालयों से अपील की है कि वो अपने काम दफ्तर आने के बजाय घरों से ही निपटाएं। लॉकडाउन के चलते विभिन्न मंत्रालयों के नौकरशाह भी अपने आवास जरूरी फाइलों को निपटा रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस के दिल्ली कॉन्फिडेंशियल में छपे एक कॉलम के मुताबिक मौजूदा समय में वरिष्ठ नौकरशाहों को खुद ही आधिकारिक पत्रों को ड्राफ्ट, फाइनल और डिस्पैच करना पड़ रहा है।
दरअसल ऑफिस के भीतर वरिष्ठ अधिकारियों के पास सहायक होते हैं जो निर्देश पर आधिकारिक ड्राफ्ट जैसे काम निपटाते हैं। अधिकारी आमतौर पर प्रिंटेड ड्राफ्ट में मामूली सुधार करते हैं और फाइलन लेटर पर अपने हस्ताक्षर करते हैं। हालांकि वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था नौकरशाहों पर भारी है। नौकरशाह इन दिनों अक्सर इस बात पर चुटकी लेते हैं कि उन्हें कैसे अपने पत्रों को ड्राफ्ट करना है और उन्हें भेजना है।
उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस के मामले में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। शनिवार (28 मार्च, 2020) को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 873 हो गई है। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 886 होने का दावा किया गया है। इस वायरस के चलते मरने वालों की संख्या 19 है।
Coronavirus संकट के लिए Wipro चीफ अजीम प्रेमजी ने दान किए 50 हजार करोड़ रुपए? कंपनी ने बताया सच
वहीं कोरोना वायरस के चलते बड़े शहरों से मजदूरों का पलायन जारी है। बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने-अपने घरों के लिए निकल गए हैं। दिल्ली यूपी बॉर्डर पर हजारों की संख्या में इकट्ठा हैं और वहां से पैदल ही अपने घरों के लिए निकल रहे हैं। मजदूरों के पलायन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
दरअसल एक जनहित याचिका दाखिल कर इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। कोर्ट से मांग की गई है कि पलायन कर रहे मजदूरों को शेल्टर होम में रखकर उन्हें सभी सुविधाएं दी जाएं।

