Coronavirus: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के बाद गरीबों के लिए एक मामूली राहत पैकेज की घोषणा की, जिसका विस्तार करने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि सीतारमण की घोषणा के एक दिन बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी केंद्रीय बैंक के दरवाजे खोल दिए और संकट की इस घड़ी में कई कदम उठाए। उन्होंने पॉलिसी दर को घटा दिया और अर्थव्यवस्था की स्थिरता को बनाए रखने के लिए पारंपरिक और अपरंपरागत टूल का इस्तेमाल किया।
उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए टर्म लोन की ईएमआई (मासिक किस्तों) को चुकाने में तीन महीने की छूट दी। इसका मतलब यह हुआ कि मार्च, अप्रैल और मई में होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन और कॉरपोरेट लोन समेत तमाम तरह के टर्म लोन की किस्तें कर्जधारकों को नहीं चुकानी होंगी। जून से ही आपको लोन की किस्तें चुकानी होंगी।
केंद्रीय बैंक का यह कदम निश्चित रूप से सभी कंपनियों को राहत देगा। यह सूक्ष्म उद्यमों, छोटे कर्जधारकों के साथ प्रोप्राइटरों, साथ ही टैक्सी और ऑटो चालकों, छोटे दुकान मालिकों जैसे व्यक्तियों के लिए एक जीवन रक्षक होगा, जो अचनाक आय में कमी का सामना कर रहे हैं।
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ऐसा करने में आईबीआई शायद छोटे उधारकर्ताओं को अधिक लाभ पहुंचाने से चूक गया। 15 लाख रुपए तक होम लोन लेने वालों का कहना है कि कम से कम छोटे कर्जधारकों के लोन के लिए तीन महीने की मोहलत के दौरान बकाया लोन पर ब्याज लगाने से बचा जा सकता था। हालांकि सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है मगर एसबीआई और एचडीएफसी द्वारा विस्तारित होम लोन का औसत टिकट आकार लगभग 27 लाख रुपए है। अगर कर्जदारों की संख्या 15 लाख से कम कर दें तो यह 50 फीसदी बैठता है।
बैंकों का कहना है कि पिछले तीन-चार वर्षों में 15 लाख रुपए के छोटे कर्ज बहुत से लोगों द्वारा लिए गए। इन लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बैंक लोन के लिए आवेदन किया था। एचडीएफसी में पीएम आवास योजना के तहत दिए कर्ज, उसके कुल होम लोन का एक तिहाई से ज्यादा बैठता है।

