JK Elections Result: दस साल के लंबे इंतजार और 2019 में अनुच्छेद-370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों काफी हद तक पिछले चुनाव नतीजों की ही झलक दिखी है, हालांकि इस बार विधानसभा में सीटों की संख्या बढ़ी है। जम्मू क्षेत्र में जहां BJP ने 29 सीटें जीतकर जहां अपनी ताकत दिखाई है, तो दूसरी ओर कश्मीर में क्षेत्रीय दल नेशनल कॉन्फ्रेंस का जलवा देखने को मिला है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अकेले ही 42 सीटें जीत लीं। कांग्रेस राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ प्री-पोल अलायंस में थी जिसने 6 सीटें जीतीं और इसके साथ ही गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया, लेकिन कांग्रेस और पीडीपी की हालत एक जैसी ही देखने को मिली है।

नेशनल कॉनफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने कुल मिलाकर 49 सीटें जीतीं हैं। राज्य में वैसे तो 90 सीटें हैं लेकिन पांच विधायकों के उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत करने की परंपरा के चलते यह आंकड़ा 95 हो जाता है। इसके बावजूद 49 सीटें होने पर गठबंधन की सरकार तय है लेकिन कांग्रेस का ग्राफ घटा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार यह आंकड़ा घट गया है।

जम्मू में कांग्रेस ने जीती महज एक सीट

कांग्रेस की टेंशन यह भी है कि उसने जम्मू में महज एक सीट जीती है जो कि उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। हालांकि कश्मीर घाटी में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी। पार्टी ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था। बीजेपी की सीटें फिलहाल बढ़ी हैं क्योंकि 2014 में उसके पास 25 सीटें जीती थीं, जबकि अब पार्टी 29 के ग्राफ पर पहुंच गई है।

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कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 47 में से 35 सीटें जीती जबकि पीडीपी की हालत बेहद खराब हो गई और वह महज तीन सीटें ही जीत सकी। पीडीपी का यह प्रदर्शन अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अनुच्छेद 370 हटने और आखिरी विधानसभा भंग होने के पहले पीडीपी सरकार में थी और उसने बीजेपी के साथ अलायंस किया था।

गठबंधन के केवल दो हिंदू प्रत्याशी जीते

छोटी पार्टियां और निर्दलीय के बारे में बात करें तो उन्हें बीजेपी से समर्थन तो मिला था लेकिन वे कुछ खास कमाल नहीं कर सके। घाटी में केवल दो सीटें ही जीत पाए। इन निर्दलीय उम्मीदवारों में जमात-ए-इस्लामी और इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के उम्मीदवार शामिल है। नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की जीती हुई 49 सीटों में से केवल दो ही हिंदू विधायक हैं। दोनों ही एनसी उम्मीदवार हैं। बीजेपी की 29 सीटों में से 28 हिंदू हैं, जबकि एक सिख है।

पूरे विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस यह दावा कर रही है कि उसे जम्मू कश्मीर की जनता ने नकारा है। हालांकि, राज्य की हकीकत यह है कि बीजेपी ने जम्मू क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाई है, जबकि कांग्रेस एनसी के साथ गठबंधन करने के बावजूद केवल 6 सीटें ही जीत सकी। राजनीतिक विश्लेषक यह भी बताते हैं कि अगर कांग्रेस ने एनसी से गठबंधन न किया होता, तो कांग्रेस की हालत संभवतः पीडीपी से भी खराब हो सकती थी।