बिहार में महागठबंधन की ‘वोटर अधिकार रैली’ से पहले कांग्रेस ने बड़ा दावा किया। कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि उसने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से संबंधित 89 लाख शिकायतें दर्ज कराई हैं। हालांकि कांग्रेस के दावे को जबकि चुनाव आयोग (EC) ने उन्हें तुरंत खारिज कर दिया।

कांग्रेस ने क्या कहा?

कांग्रेस के मीडिया सेल के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा, “कांग्रेस की जांच में 243 विधानसभा सीटों की मतदाता सूचियों में 89 लाख से ज़्यादा विसंगतियां पाई गई हैं। तक कि मृत घोषित किए गए मतदाताओं की सूची में भी विसंगतियां हैं। चुनाव आयोग ने बूथ-स्तरीय एजेंटों (BLA) की बड़ी संख्या में आपत्तियां स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और प्रत्येक मतदाता के लिए अलग-अलग फ़ॉर्म पर ज़ोर दिया है। ऐसा लगता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) पर राजनीतिक दलों की शिकायतें स्वीकार न करने का दबाव है।”

चुनाव आयोग ने कांग्रेस के दावे को किया ख़ारिज

कांग्रेस के दावों का खंडन करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि पार्टी ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। एक प्रेस बयान में चुनाव आयोग ने कहा कि उसे केवल 128 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 118 और 10 क्रमशः कांग्रेस के इंडिया ब्लॉक सहयोगियों सीपीआई (ML) L और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) द्वारा दर्ज की गईं। आज तक बिहार में कांग्रेस के किसी भी जिला अध्यक्ष द्वारा अधिकृत किसी भी बूथ-स्तरीय एजेंट (BLA) ने 1 सितंबर को निर्धारित प्रारूप में प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची में किसी भी नाम पर कोई दावा (फॉर्म 6) या आपत्ति (फॉर्म 7) प्रस्तुत नहीं की है।”

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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के बढ़ते आरोपों के बीच कांग्रेस ने 17 अगस्त को रोहतास जिले से अपनी मतदाता अधिकार यात्रा शुरू की थी। यात्रा में अन्य राज्यों के कई इंडिया ब्लॉक नेताओं जैसे तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन, तेलंगाना के सीएम ए रेवंत रेड्डी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने हिस्सा लिया।

सोमवार को खत्म हो रही यात्रा

राज्य के 38 जिलों में से 25 जिलों से गुज़रने के बाद यह यात्रा सोमवार को पटना में गांधी मैदान से आयकर चौक तक एक मार्च के साथ समाप्त होगी। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, सीपीआई (ML) सुप्रीमो दीपांकर भट्टाचार्य, एनसीपी (SP) की सुप्रिया सुले और जितेंद्र आव्हाड, माकपा के डी राजा और एम ए बेबी, और झामुमो प्रमुख और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शीर्ष नेताओं के इस मार्च में भाग लेने की संभावना है।

इस बीच चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से नाम हटाने के चार कारण बताए हैं। 25 लाख लोगों के नाम हटाने के लिए पलायन का हवाला दिया गया, जबकि 22 लाख लोगों को मृत घोषित हुए हैं। कुल 9.7 लाख मतदाता दिए गए पते पर अनुपस्थित थे, जबकि 7 लाख मतदाताओं के नाम कई मतदान केंद्रों पर पंजीकृत होने के कारण हटा दिए गए।

पवन खेड़ा का दावा

पवन खेड़ा के अनुसार, 7,931 मतदान केंद्रों पर हटाए गए 75% मतदाताओं को मृत घोषित कर दिया गया। उन्होंने आगे कहा, “5,239 मतदान केंद्रों में से प्रत्येक में 50 हटाए गए मतदाताओं को अनुपस्थित चिह्नित किया गया। प्रवासी और मृत मतदाताओं की बड़ी संख्या एक संदिग्ध पैटर्न दर्शाती है।” अपनी पार्टी की जांच के बारे में विस्तार से बताते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि 20,368 मतदान केंद्रों से 100 मतदाताओं के नाम हटाए गए, जबकि 1,988 मतदान केंद्रों से 200 मतदाताओं के नाम हटाए गए। उन्होंने आगे कहा, “7,613 मतदान केंद्रों पर, हटाए गए मतदाताओं में से 70% महिलाएं थीं, जबकि 635 मतदान केंद्रों पर, प्रवासी मतदाताओं के कारण हटाए गए मतदाताओं में से 75% महिलाएं थीं। इससे पता चलता है कि महिला मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा था।”

बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) विनोद सिंह गुंजियाल ने आरोपों को खारिज कर दिया। बयान में आगे कहा गया है, “पिछले 1-2 दिनों में, कांग्रेस के ज़िला अध्यक्षों ने मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम हटाए जाने के संबंध में ज़िला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) को पत्र लिखे हैं। मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 13 के तहत, आपत्तियां केवल फॉर्म 7 में ही दी जा सकती हैं, या राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बीएलए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के अनुसार घोषणा के साथ निर्धारित प्रपत्र में हलफनामा दे सकते हैं।”

सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त के अंतरिम आदेश का हवाला देते हुए सीईओ ने स्पष्ट किया कि शिकायतें निर्धारित प्रारूप में संबंधित निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) को प्रस्तुत की जानी चाहिए। सीईओ के बयान में कहा गया है, “कांग्रेस की आपत्तियां निर्धारित प्रारूप में नहीं हैं। डीईओ आपत्तियों को संबंधित ईआरओ को भेज रहे हैं। इस अवधि के दौरान, यह उम्मीद की जाती है कि ईआरओ, निर्धारित शपथ लेने के बाद, अपने विवेक से लगभग 89 लाख मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया पर उचित निर्णय लेंगे।”