कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि सावरकर, गाय को माता कहने के खिलाफ थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की अयोध्या पर आधारित किताब के विमोचन पर दिग्विजय सिंह ने ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि ‘हिंदुत्व’ शब्द का हिंदू धर्म और सनातनी परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा- “आज कहा जाता है कि हिंदू धर्म खतरे में हैं। 500 साल के मुगल और मुसलमानों के शासन में हिंदू धर्म का कुछ नहीं बिगड़ा। ईसाइयों के 150 साल के राज में हमारा कुछ नहीं बिगड़ा, तो अब हिंदू धर्म को खतरा किस बात का है”।

उन्होंने आगे कहा कि खतरा केवल उस मानसिकता और कुंठित सोची समझी विचारधारा को है जो देश में ब्रिटिश हुकूमत की ‘फूट डालो और राज करो’ की विचारधारा थी। उसको प्रतिवादित कर अपने आप को कुर्सी पर बैठाने का जो संकल्प है, खतरा केवल उन्हें है। समाज और हिंदू धर्म को खतरा नहीं है।

इसी कार्यक्रम में बोलते हुए दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि सावरकर बीफ खाने को गलत नहीं मानते थे। उन्होंने कहा- सावरकर धार्मिक नहीं थे। उन्होंने यहां तक कहा था कि गाय को माता क्यों मानते हो। बीफ खाने में कोई दिक्कत नहीं है। वह हिंदू पहचान स्थापित करने के लिए ‘हिंदुत्व’ शब्द लाए, जिससे लोगों में भ्रम फैल गया।”

उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व मूल सनातनी परंपराओं और विचारधाराओं के विपरीत है। कांग्रेस नेता ने आरएसएस पर निशाधा साधते हुए कहा- “प्रचारतंत्र में संघ से जीतना बहुत मुश्किल है। क्योंकि अफवाह फैलाना और अफवाह को आखिरी दम तक ले जाना उनसे बेहतर कोई नहीं जानता है। आज के युग में जहां सोशल मीडिया और इंटरनेट है, ये उनके हाथ में ऐसा हथियार आ गया है, जोकि अकाट्य साबित होता चला रहा है”।

दिग्विजय सिंह ने मंदिरों को लेकर कहा कि इस देश के इतिहास में भारत में इस्लाम के आने से पहले से ही धार्मिक आधार पर मंदिरों का विनाश होता रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो राजा, दूसरे राजा के क्षेत्र पर विजय प्राप्त करता था, उसने उस राजा के विश्वास पर अपने विश्वास को वरीयता देने का प्रयास किया।

आगे राम मंदिर के मुद्दे पर सिंह ने कहा कि 1984 में जब भाजपा केवल 2 सीटों तक ही सीमित रह गई, तो उन्होंने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का फैसला किया। क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी का गांधीवादी समाजवाद 1984 में विफल हो गया था।