Congress में सक्रिय नेतृत्व को लेकर कलह फिलहाल कम नहीं हुई है। पार्टी सांसद और INC अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को खत लिख असहमति जताने वाले 23 नेताओं में से एक कपिल सिब्बल ने फिर इस मसले पर अपनी राय जाहिर की कि कांग्रेस अब प्रभावी विपक्ष नहीं रहा है। साथ ही कहा- डेढ़ साल से पार्टी बिना अध्यक्ष के है। ऐसे भला क्या कोई पार्टी चलती है?

अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘India Today’ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने पत्रकार राजदीप सरदेसाई को बताया- राहुल गांधी ने जब ऐलान किया था कि उनकी पार्टी चीफ रहने में दिलचस्पी नहीं है, तब से अब तक कांग्रेस बगैर मुखिया के है। इस बात को लगभग डेढ़ साल हो चुके हैं। क्या पार्टी डेढ़ साल तक बगैर नेता के चल सकती है क्या?…कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भी नहीं मालूम है कि आखिर उन्हें भविष्य में क्या करना है या कहां जाना है।

सिब्बल के मुताबिक, हालिया चुनावों से मालूम चलता है कि उत्तर प्रदेश सरीखे सूबों के अलावा जहां कांग्रेस फैक्टर नहीं थी, यहां तक ​​कि गुजरात और मध्य प्रदेश में भी, जहां उसकी BJP के साथ सीधी लड़ाई थी, नतीजे बेहद खराब थे।

बकौल कांग्रेसी नेता, “गुजरात में हम सभी आठ सीटें हार गए। 65 फीसदी वोट भाजपा के खाते में चला गया। हालांकि, ये कांग्रेस के दलबदलुओं द्वारा खाली की गई सीटें थीं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के दल बदलने वाले नेताओं की वजह से सभी 28 सीटें खाली हो गई थीं, पर कांग्रेस इनमें आठ ही जीत पाई।”

पेशे से वकील सिब्बल ने इस बात पर भी जोर दिया कि उन्होंने जुलाई में हुई पार्टी की संसदीय समूह की बैठक में मुद्दे उठाए थे। फिर 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को अगस्त में खत भी लिखा था, पर उस पर न तो कोई चर्चा हुई और न ही उन लोगों के पास इस मसले को लेकर कोई आगे आया।

सिब्बल का हालिया बयान ऐसे वक्त पर है, जब पूर्व में नेतृत्व पर खुलकर बोलने को लेकर वह पार्टी के कुछ और नेताओं के निशाने पर आ गए थे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो यह तक कह दिया था कि पार्टी अंदरखाने के मसले उन्हें मीडिया के समक्ष नहीं उठाने चाहिए।