Congress Against EVM: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों में से एक राज्य कांग्रेस के लिए जीत की खुशी लेकर आया तो दूसरे में पार्टी का सूपड़ा ही साफ हो गया लेकिन अब हार जीत के इस खेल से इतर कांग्रेस ने चुनावी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने EVM हटाकर बैलेट पेपर की वापसी की मागं कर डाली।
दरअसल, दिल्ली में संविधान दिवस के एक कार्यक्रम में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा है कि हमें ईवीएम नहीं चाहिए। हमें बैलेट पेपर चाहिए। मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि महाराष्ट्र चुनाव में अडानी का बहुत बड़ा हाथ था। खड़गे ने कहा कि कि मोदी ने उसे इतनी संपत्ति दी है कि अब वह उसे हजम नहीं हो रही है।
संजय राउत ने पहले ही दिन उठाए थे सवाल
बता दें कि आज ही शिवसेना यूबीटी के नेता और सांसद संजय राउत ने भी ईवीएम पर सवाल उठाए हैं और कहा कि अगर देश में ईवीएम की बजाए दोबारा बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने लगें, तो फिर बीजेपी की पूरे देश में 25 सीटें नहीं आएंगी। संजय राउत ने चुनाव नतीजों तक को मानने से इनकार कर दिया था।
जन आंदोलन की तैयारी कर रही है कांग्रेस
वहीं कांग्रेस नेता नाना पटोले ने भी ईवीएम को लेकर कहा कि इस मुद्दे पर कोई नहीं सुन रहा है। हम सुप्रीम कोर्ट भी गए, उन्होंने कहा इसे साबित करो… यही कारण है कि कांग्रेस को लगता है कि इस मुद्दे पर जन आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
बैलेट पेपर के लिए यात्रा क्यों निकालेंगे खड़गे?
शरद पवार की पार्टी बोली- साजिश के तहत हार जीत
जितेंद्र अव्हाड ने कहा कि लगभग सभी उम्मीदवारों ने EVM के खिलाफ बहुत गुस्सा दिखाया है। सभी ने कहा है कि इसके खिलाफ एक आवाज उठनी चाहिए। हरियाणा लिया, जम्मू कश्मीर दिया, महाराष्ट्र लिया, झारखंड दिया, ताकि आपको शक न आए। क्या बोलेंगे कि झारखंड में तो जीते न तुम EVM पर। मैंने हमेशा कहा है कि छोटा चुनाव दे देंगे आपको। बड़ा चुनाव साथ में लेकर जाएंगे।
जितेंद्र अव्हाड ने आगे कहा कि जब लोकसभा से पहले कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए, वो हम जीत गए। हम भी हवा में चले गए। बोले- नहीं-नहीं EVM बराबर है। असल में EVM का इस्तेमाल लोगों को मूर्ख बनाने के लिए किया जाता है। यानी दाना डालो पंछी लो और इधर से बड़ा हाथी खींच लो।
सुप्रीम कोर्ट ने EVM की सुनवाई में वकीलों को ही लपेट लिया
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका लगाने वालों को दिया है झटका
ईवीएम को लेकर एक बार फिर जब मामला देश की सर्वोच्च अदालत के पास पहुंचा तो इलेक्शन में बैलेट पेपर से वोटिंग कराने की मांग की गई। सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार ही में ही याचिका खारिज कर दी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि EVM से पार्टियों को दिक्कत नहीं है, आपको क्यों है। ऐसे आइडिया कहां से लाते हो।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता केए पॉल ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू और जगन मोहन रेड्डी ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ की है, जो हारता है वह ईवीएम को कोसता है। बता देंकि 16 अक्टूबर को कांग्रेस की ओर से प्रिया मिश्रा और विकास बंसल ने ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर की मांग की थी।
हरियाणा चुनाव में भी उठा था मुद्दा
इस याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने EVM से हरियाणा में चुनाव कराए हैं। उसी के आधार पर रिजल्ट भी घोषित किए, मगर कुछ EVM 99 प्रतिशत बैटरी क्षमता पर काम कर रही थीं, जबकि कुछ 60-70 और 80 प्रतिशत से कम बैटरी क्षमता पर काम कर रही थीं। कुछ EVM में काउंटिंग वाले दिन भी 99 प्रतिशत बैटरी थीं।
EVM की बैटरी कैसे काम करती है?
17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसी याचिका दायर करने पर आप पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। आप कागजात सौंपिए, हम देखेंगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि जितनी भी ईवीएम की मागं उठी हैं वे सभी चुनाव नतीजों के बाद उठी हैं और राजनीतिक दलों ने इसे हटाकर बैलेट पेपर लाने की मांग की है।
2009 के चुनाव में जब बीजेपी बुरी तरह से लोकसभा का चुनाव हारी थी, तो उस दौरान बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी ईवीएम का मुद्दा उठाया था। यह बताता है कि जो भी राजनीतिक दल चुनावों में हारता है, उसके लिए EVM एक पंचिंग बैग की तरह है, जिसके इस्तेमाल से वह अपनी हार पर पर्दे डालती है।
हालांकि जब-जब ईवीएम पर सवाल उठते हैं, तब-तब चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों को ईवीएम में गड़बड़ी की संभावनाओं को जनता के सामने लाने का मौका भी देता है लेकिन आज तक कोई भी राजनीतिक दल इस दौरान चुनाव आयोग के पास नहीं गया। यह बताता है कि चुनाव में हार की वजह से EVM की विश्वसनीयता पर संदेह होता है, क्योंकि जीतने के बाद तो राजनीतिक दल जश्न में खो जाते हैं। EVM से जुड़ी तमाम खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।