कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत कई विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। दरअसल तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गोवा सहित उन राज्यों में अपनी पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सोनिया गांधी की अन्य विपक्षी नेताओं से मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है।
ममता को संदेश: माना जा रहा है कि ममता बनर्जी जिस तरह से कांग्रेस को दरकिनार कर तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात कर रही हैं, उसके जवाब में सोनिया गांधी ने यह मीटिंग की। सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल को न्यौता नहीं दिया गया। इसके जरिए संदेश देने की कोशिश की गई कि सोनिया गांधी विपक्षी दलों को एक साथ रखने के लिए गंभीर हैं। दरअसल, ममता बनर्जी ने पिछले दिनों कहा था कि यूपीए जैसा अब कुछ नहीं है।
विपक्षी दलों में फूट!: ऐसे में समीकरण कुछ ऐसे बनते दिखाई दे रहे हैं कि भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का आपसी तालमेल ठीक नहीं है। जहां ममता बनर्जी कांग्रेस को दरकिनार कर अलग मोर्चा बनाने की कवायद में हैं। तो वहीं सोनिया गांधी ने ममता बनर्जी को न्यौता ना देकर विपक्षी दलों से मुलाकात की। कहा जा रहा है कि बैठक में, भाजपा विरोधी मोर्चा, संसद के मौजूदा सत्र में विपक्ष की साझा रणनीति और राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन वापसी को लेकर भी चर्चा की गई।
भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने का प्रयास: यह बैठक उस दिन हुई जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी गोवा में थीं। बता दें कि ममता बनर्जी और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने अपने तमिलनाडु समकक्ष और डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन से मुलाकात की। इस दौरान भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के प्रयासों पर बातचीत हुई।
ममता ने बनाई कांग्रेस से दूरी: गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले ममता बनर्जी ने दिल्ली और मुंबई का दौरा किया था। इस दौरान भी उन्होंने कांग्रेस नेताओं से दूरी बनाई। जहां दिल्ली में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलीं लेकिन सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं की। वहीं मुंबई में उन्होंने शिवसेना सांसद संजय राउत और आदित्य ठाकरे से मुलाकात की थी।