कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालचारी और जवाहरलाल नेहरू द्वारा सेंगोल से जुड़ा कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है। इन दिनों सेंगोल काफी चर्चा में है। गृहमंत्री अमित शाह ने 24 मई को एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि पीएम मोदी नए संसद भवन में ‘सेंगोल’ (Sengol) की स्थापना करेंगे।
दावा किया जा रहा है कि आजादी के वक्त इसी सेंगोल के जरिये अंग्रेजों ने भारत को सत्ता हस्तांतरित की थी। हालांकि अब कांग्रेस इस दावे को फर्जी बता रही थी। एक ट्वीट में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह दावे बोगस हैं और इन्हें व्हाट्सएप के जरिए लोगों के दिमाग में भरा जा रहा है। मीडिया इन दावों को लेकर ढोल बजा रहा है।
जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके लिए ढोल बजाने वाले लोग तमिलनाडु में अपने राजनीतिक फायदे के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होने लिखा कि यह इन लोगों की खासियत है कि यह अपने मकसद के तहत तथ्यों को उलझाते हैं।
अमित शाह का पलटवार
कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूछा कि कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है। एक ट्वीट में शाह ने कहा, “भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ द्वारा पंडित नेहरू को एक पवित्र सेंगोल दिया गया था लेकिन इसे एक संग्रहालय में भेज दिया गया था।”
शाह ने यह भी कहा, “एक पवित्र शैव मठ, थिरुवदुथुराई अधीनम ने भारत की आजादी के समय सेंगोल के महत्व के बारे में बात की थी। कांग्रेस अधीनम के इतिहास को बोगस बता रही है! कांग्रेस को अपने व्यवहार पर विचार करने की जरूरत है”
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जो पार्टियां नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार कर रही हैं वे वंश-संचालित हैं जिनके राजशाही तरीके हमारे संविधान में गणतंत्रवाद और लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ हैं।
भाजपा अध्यक्ष ने बहिष्कार को संविधान के निर्माताओं का अपमान बताया। भाजपा प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस और “नेहरू-गांधी” परिवार एक साधारण तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि भारत के लोगों ने एक विनम्र पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति पर अपना विश्वास रखा है। राजवंशों की अभिजात्य मानसिकता उन्हें तार्किक सोच से रोक रही है।