लोकसभा ने सोमवार (9 दिसंबर, 2019) को नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। विधेयक पर चर्चा के दौरान AAP सांसद भगवंत मान ने भी अपना पक्ष रखा, हालांकि अपने भाषण की शुरुआत में उन्होंने अजीब से बात कही। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने भाजपा नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ‘जिसे मेरा मुंह सूंघना है, वो अभी आ जाए।’

अपने भाषण की शुरुआत में आप सांसद ने कहा, ‘सबसे पहले मैं भाजपा में अपने मित्रों को संबोधित करना चाहूंगा कि मैं बोलना शुरू कर रहा हूं और जिसे मेरा मुंह सूंघना है वो अभी आ जाए, चूंकि बीच में दिक्कत होती है। क्योंकि मैं जब भी सच बोलता हूं भाजपा को शक होता है।’

मान ने इस बीच नागरिकता संशोधन बिल पर भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर का जो संविधान है, इस बिल के जरिए उसकी हत्या हो रही है। उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद किसी को भी धर्म के नाम पर नागरिकता नहीं मिली। इस बिल के जरिए अगर पचास लाख लोगों की शिनाख्त कर ली गई जो भारतीय नागरिक नहीं है। सरकार उनका क्या करेगी? अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक क्या उनके लिए शर्णार्थी कैंप बनाए जाएंगे। क्योंकि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान इन लोगों को अपना यहां लेगा नहीं। कैंप बनाए जाएंगे तो ऐसे लोगों को मुफ्त में बिजली और पानी देना पड़ेगा।’

बिल पर सवाल उठाते हुए आप सांसद ने आगे कहा कि सरकार इस बिल के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के शर्णार्थियों को अपने यहां लेना चाहती है। मगर भारत से जो शर्णार्थियों जर्मनी, इटली और इंग्लैंड में गए सरकार उनका क्या करेगी। इन लोगों को सरकार ने काली सूची में डाल रखा है। उन्होंने कहा, ‘हम भी आर्यन लोग है, तो कहां जाएंगे।’

उल्लेखनीय है कि सोमवार को नागरिकता संशोधन बिल पर सदन में सात घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों के यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है। ये लोग भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी।

शाह ने कहा, ‘‘ मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता। अगर इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होता तो मुझे विधेयक लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।’’ (एजेंसी इनपुट)