चुनाव आयोग (EC) ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) से कहा है कि वह Shivsena चीफ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे और सूबे में कबीना मंत्री आदित्य ठाकरे और NCP सांसद सुप्रिया सुले के चुनावी हलफनामों की जांच करे। दरअसल, इन तीनों पर फर्जी एफेडेविट फाइल करने के आरोप हैं।
सूत्रों के अनुसार, सीबीडीटी से कहा गया है कि वह इन तीनों राजनेताओं द्वारा चुनावी हफलमानों में दिए गए संपत्ति और दायित्वों के ब्यौरे का सत्यापन करे। चुनाव आयोग के अधिकारी के मुताबिक, “ये शिकायतें एक महीने पहले आई थीं। बाद में इसी संदर्भ में रिमाइंडर भी भेजा गया।”
चुनाव आयोग ने यह बात तब कही है, जब जून में उसने फर्जी और गलत चुनावी हलफनामों से निपटने को लेकर जून में अपना रुख बदला था। 16 जून को आयोग ने ऐलान किया था कि उम्मीदवारों के खिलाफ दायर की गई शिकायतों (चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने से जुड़ी, जो क्रिमिनल हिस्ट्री, संपत्ति, शैक्षिक योग्यता और उत्तरदायित्वों से जुड़ी हो सकती है) का संज्ञान लेगा।
इससे पहले, आरपी एक्ट में सेक्शन 125 ए के तहत आयोग शिकायतकर्ताओं को सीधे कोर्ट आने के लिए बढ़ावा देता था। खासकर ऐसे मामलों में, जिनमें उसे लगता था कि गलत हलफनामा दाखिल करने वाले उम्मीदवार के खिलाफ केस मजबूत है।
22 जून को चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, “अगर जांच में पाया जाता है कि उम्मीदवार ने झूठ बोला है, तब हम अपने फील्ड ऑफिसर को उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से बिल्कुल नहीं हिचकेंगे। हम इसके अलावा उक्त राजीनितक दल और विधनसभा या सदन (जहां से भी वह चुना गया है, वहां के) के पीठासीन अधिकारी को भी इस बारे में सूचित करेंगे कि उस व्यक्ति ने हलफनामे में सही जानकारी नहीं दी है।”
मौजूदा समय में RP Act के Section 125A के तहत अगर कोई व्यक्ति चुनावी हलफनामे में झूठ बोलने या गलत जानकारी देने को लेकर पकड़ा जाता है, तब उसे छह महीने की जेल की सजा या जुर्माना या फिर ये दोनों ही चीजें झेलनी पड़ सकती हैं।