केंद्र सरकार ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के लिए नई डोमिसाइल नीति का ऐलान किया था। इसके तहत राज्य का निवासी बनने और यहां नौकरी पाने के नियमों में बदलाव किया गया था। हालांकि, नई नीति के ऐलान के दो दिन बाद ही केंद्र को अपने आदेश में कुछ बदलाव करने पड़े हैं। संशोधन के तहत, अब जम्मू-कश्मीर में नौकरियां यहां के स्थाई निवासियों के लिए ही होंगी।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस केंद्र शासित प्रदेश में सरकारी नौकरियों के मौकों को पूरे देश के लोगों के लिए खोलने का ऐलान कर दिया था। हालांकि, इसमें लेवल-4 (जूनियर असिस्टेंट और एंट्री लेवल नॉन गैजेटेड) जॉब्स को जम्मू-कश्मीर के लिए सुरक्षित रखने की बात कही गई थी। सरकार के इस फैसले पर कई राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए थे। विपक्ष ने केंद्र के फैसले की टाइमिंग और भावना की आलोचना करते हुए कहा था कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के घाव पर नमक डालने जैसा है।
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बताया गया है कि जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के नेता अल्ताफ बुखारी सरकार के आदेश के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल से मिले थे। उन्होंने निवासी और नौकरियों के नियमों में बदलाव पर आपत्ति जताते हुए इनमें बदलाव की मांग की थी।
पिछले आदेश के तहत केंद्र सरकार के अफसरों, आईएएस, पब्लिक सेक्टर यूनियन के अधिकारी, सरकारी बैंकों और केंद्रीय यूनिवर्सिटी के अधिकारी जिन्होंने कुल 10 साल राज्य में सेवा दी है, उन्हें और उनके बच्चों को जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी मान लिया जाएगा। हालांकि, अब इसमें बदलाव कर दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर में 15 साल तक रह चुका व्यक्ति अब वहां का निवासी: सरकार के आदेश के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 15 साल तक रहने वाला व्यक्ति अब वहां का निवासी कहलाएगा। केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के बीच मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए नए डोमिसाइल नियमों का ऐलान किया था। सरकार की ओर से जारी गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 में सेक्शन 3ए जोड़ा गया है। इसके तहत राज्य/यूटी के निवासी होने की परिभाषा तय की गई है। जिस भी शख्स ने जम्मू-कश्मीर में 15 साल बिताए हैं या जिसने यहां सात साल पढ़ाई की और 10वीं-12वीं की परीक्षा यहीं के किसी स्थानीय संस्थान से दी, वह यहां का निवासी होगा।