केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि निजामुद्दीन मरकज केस में जांच के लिए सीबीआई की जरूरत नहीं है। सरकार ने कोर्ट में एक एफिडेविट देकर कहा कि इस मामले में कानून के मुताबिक हर दिन जांच की जा रही है और इन्वेस्टिगेशन पूरी होने के बाद समयानुसार रिपोर्ट देने की कोशिश की जाएगी।
गौरतलब है कि देश में जिस वक्त कोरोना के केस धीरे-धीरे बढ़ रहे थे, उसी दौरान निजामुद्दीन इलाके में सैकड़ों की संख्या में तब्लीगी जमात के लोगों में संक्रमण की बात सामने आई थी। बताया गया था कि बड़ी संख्या में लोग निजामुद्दीन में ही मरकज कार्यक्रम के लिए इकट्ठा हुए थे। इनमें पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया और अन्य देशों से आए कुछ लोग भी शामिल थे। इसका खुलासा होने के बाद दिल्ली पुलिस ने बिना वैध वीजा धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने वाले तब्लीगियों की खोज शुरू कर दी थी। साथ ही सभी पर केस भी दर्ज किए गए।
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कुछ समय पहले ही जम्मू के एक वकील ने सुपरीम कोर्ट में याचिका दायर कर मरकज मामले में जांच की मांग की थी। वकील का कहना था कि दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार की नाक के नीचे मार्च में इतना बड़ा कार्यक्रम हो गया। इन्हीं चूकों को लेकर याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जांच की मांग की। हालांकि, गृह मंत्रालय पहले ही कह चुका है कि दिल्ली पुलिस मरकज मामले में बिल्कुल भी लापरवाह नहीं रही। गृह मंत्रालय ने इस मामले में मरकज के प्रमुख मौलाना साद और कुछ और लोगों को आरोपी ठहराया था। हालांकि, मामले में स्वतंत्र जांच की बात से इनकार किया था।
एक दिन पहले ही गृह मंत्रालय ने टूरिस्ट वीजा पर धार्मिक कार्यक्रम के लिए भारत आने वाले 960 विदेशी नागरिकों पर अगले 10 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया। इन नागरिकों को वीजा नियकों का उल्लंघन करने के लिए 10 साल के लिए प्रतिबंधित किया गया। इन पर आरोप है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के शुरुआती दौर में इन लोगों ने नियमों का उल्लंघन किया और गैरकानूनी तरीके से भीड़ इकट्ठा की। अब तक कुल 2,550 तबलीगी जामत के विदेशी सदस्यों को ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है।
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