केंद्र सरकार ने अपने सभी विभागों से उन कर्मचारियों के सर्विस रिकॉर्ड्स की समीक्षा के लिए कहा है, जो सेवा में 30 साल पूरे कर चुके हैं। सरकार ने यह निर्देश इसलिए दिया है, ताकि अयोग्य और भ्रष्ट स्टाफ को चिह्नित कर उन्हें जनहित में समय से पहले ही रिटायर किया जा सके। यह जानकारी रविवार को समाचार एजेंसी पीटीआई ने पर्सनल मिनिस्ट्री (कार्मिक मंत्रालय) के आदेश के हवाले से दी।

आदेश के अनुसार, ‘‘स्पष्ट है कि इन नियमों के तहत सरकारी सेवकों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति देना सजा नहीं है। यह ‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति’ से अलग है जो केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965 के तहत निर्दिष्ट शास्तियों या सजाओं में से एक है।’’

आदेश में यह भी कहा गया कि सरकार किसी सरकारी कर्मचारी की आयु 50/55 वर्ष होने या 30 वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद किसी भी समय जनहित में उसे समय पूर्व सेवानिवृत्त कर सकती है।

केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के मौलिक नियम (एफआर) 56 (जे) और 56 (आई) तथा नियम 48 (1)(बी) के तहत कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन की समीक्षा की जाती है जो उचित प्राधिकार को किसी सरकारी सेवक को जनहित में आवश्यक लगने पर सेवानिवृत्त करने का ‘संपूर्ण अधिकार’ देता है।

इसी बीच, केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि पेंशनभोगियों को अब इलेक्ट्रॉनिक पेंशन भुगतान आदेश (ई-पीपीओ) सीधे उनके डिजिलॉकर में मिलेगा, जिससे देरी की संभावना समाप्त होगी। डिजिलॉकर नागरिको के लिए एक डिजिटल दस्तावेज वॉलेट है। इसमें वे अपने महत्वपूर्ण दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक तरीके से रख सकते हैं और उन तक पहुंच सकते हैं।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान नए पेंशनभोगियों को अपने पेंशन भुगतान आदेश की कागजी (फिजिकल) प्रति लेने के लिए बाध्य नहीं होना पड़े, इसे सुनिश्चित करने को यह कदम उठाया गया है। सिंह ने कहा कि पेंशनभोगियों की सुविधा के लिए ई-पीपीओ को डिजिलॉकर के साथ जोड़ा जाएगा।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार मंत्री ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर ई-पीपीओ को संबंधित पेंशनभोगी के डिजिलॉकर में सीधे भेजा जाएगा, जिससे विलंब की संभावना समाप्त होगी। उन्होंने कहा कि इससे पेंशनभोगियो की मूल पीपीओ के गायब होने की समस्या का भी अंत होगा। ऐसा होने पर उन्हें काफी परेशानी होती है।