राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया से भारत आंतरिक तौर पर ताकतवर बनेगा। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने शनिवार को पारित किए दो में से एक में कही। ये प्रस्ताव कर्नाटक के बेंगलुरू में आयोजित संघ की प्रमुख प्रतिनिधियों की सालाना बैठक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पारित किए गए। आरएसएस के प्रस्ताव के मुताबिक, “इस अभियान ने एक बार फिर से साबित किया कि समूचा देश भावनात्मक रूप से प्रभु श्रीराम से जुड़ा हुआ है।”

प्रस्ताव में यह भी कहा गया, “श्रीराम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मत फैसले के बाद श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’ का गठन, अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण कार्य को शुरु करने के लिए किया गया अनुष्ठान और निधि समर्पण अभियान भारत के इतिहास का वह सुनहरा पन्ना बन गया है। यह आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देगा। इस अभियान के दौरान समाज का सहयोग व उत्साह ऐतिहासिक था, जहां स्वयंसेवक नहीं पहुंच पाए तो वहां के लोगों ने संपर्क करके स्वयं बुलाया। भारत में रहने वाले श्रीराम के साथ किस प्रकार जुड़े हैं, यह इस अभियान से सिद्ध हो गया।” वहीं, दूसरे प्रस्ताव में संघ ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत एकजुट होकर खड़ा रहा।

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आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक कर्नाटक के बेंगलुरू में आयोजित हुई। (फोटो सोर्सः http://www.rss.org)

RSS में शीर्ष स्तर पर बदलाव: संघ ने अपने संगठन में शीर्ष स्तर पर शनिवार को बदलाव किए। दत्तात्रेय होसबाले नये सरकार्यवाह निर्वाचित हुए, जबकि दो सह-सरकार्यवाह नियुक्त किये गए। वहीं, भाजपा नेता राम माधव की संघ में वापसी हुई। संघ ने 75 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले लोगों के सार्वजनिक पद छोड़ देने के अपने विचार पर अडिग रहते हुए ये बदलाव किए हैं। आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय वार्षिक बैठक में 65 वर्षीय होसबाले सरकार्यवाह (महासचिव) निर्वाचित हुए। संघ के सरकार्यवाह के तौर पर होसबाले इसके कार्यकारी प्रमुख एवं संगठन में नंबर-दो पद पर होंगे।

राम माधव को आरएसएस राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है। उनकी संघ में वापसी हुई है। उन्हें 2014 में भाजपा में भेजा गया था और पार्टी महासचिव बनाया गया था। सूत्रों ने बताया कि उन्हें बाद में अतिरिक्त जिम्मेदारी दिये जाने की संभावना है। बता दें कि साल 2024 में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। उसी साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ये बदलाव मायने रखते हैं।

‘धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने वाले राज्यों का समर्थन करता है संघ’: होसबाले ने लड़कियों को विवाह और धर्मांतरण के लिए प्रलोभन दिये जाने की निंदा करते हुए शनिवार को कहा कि संघ इस कृत्य के खिलाफ कानून लाने वाले राज्यों का समर्थन करता है। भारत के विमर्श के बारे में सही जानकारी देने को लक्षित एक बौद्धिक अभियान की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि संघ आने वाले दिनों में संघ इस दिशा में काम करेगा। उन्होंने आगे कहा, ‘‘…अदालतें ‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल करती हैं, हम नहीं करते। धर्मांतरण के लिए शादी जैसे किसी गलत उद्देश्य को लेकर लड़कियों को प्रलोभन दिये जाने या उन्हें किसी दूसरे देश में ले जाए जाने की निंदा करनी होगी तथा इसका विरोध करना होगा।’’

उन्होंने कहा कि यहां तक कि कुछ राज्य इसके खिलाफ कानून लाकर आगे आए हैं और संघ उन राज्यों का समर्थन करता है तथा इसमें धर्म का कोई सवाल ही नहीं उठता है। कर्नाटक सरकार भी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की तर्ज पर अंतर-धार्मिक विवाहों के खिलाफ कानून लाने की बात कहती रही है। भारत का अपना विमर्श है। इसकी सभ्यता के अनुभव और इसके विवेक को नये भारत के विकास के लिए अगली पीढ़ी तक पहुंचाना होगा। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)