देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस बीच राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी जुट गए हैं। इसी क्रम में बसपा लोकसभा चुनाव के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार कर रही है। अब बसपा की नजर उत्तर प्रदेश की आरक्षित सीटों पर है। इन सीटों पर दलितों की संख्या अधिक है और बसपा इन पर अच्छा प्रदर्शन करने की तैयारी कर रही है।
उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को 64 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि 10 सीटों पर बसपा और 5 सीट पर सपा को जीत हासिल हुई थी। एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। 2019 में बसपा और सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था।
उत्तर प्रदेश में 17 आरक्षित सीटें हैं। इन आरक्षित सीटों पर 2019 में 15 पर भाजपा गठबंधन की जीत हुई थी, जबकि दो पर बसपा को जीत हासिल हुई थी। बसपा प्रमुख मायावती की कोशिश है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में आरक्षित सीटों पर पार्टी अच्छा प्रदर्शन करें। इसको लेकर वह मंडल प्रभारियों के साथ लगातार बैठकें कर रही हैं और उन्हें काडर में से उम्मीदवारों के चयन की भी जिम्मेदारी सौंपी है।
बसपा प्रमुख मायावती ने अपने मंडल प्रभारियों को लगातार क्षेत्र में काम करने का निर्देश दिया है। बसपा ने अपने काडर के पुराने नेताओं की उम्मीदवारी तय करने को भी कहा है।
2022 विधानसभा चुनाव में बसपा को केवल एक सीट पर जीत हासिल हुई थी और उसके बाद से ही बसपा प्रमुख पार्टी को मजबूत करने में जुट गईं। मायावती ने उसके बाद कई नेताओं को पार्टी से बाहर का भी रास्ता दिखाया और एक नई टीम के साथ अब लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बना रही हैं। पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने मंडल प्रभारियों को 2024 लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन की जिम्मेदारी सौंपी है।
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बसपा आरक्षित सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती रही है। कई ऐसी सीटें हैं जहां पर बसपा लगातार चुनाव जीतती रही है। मिश्रिख लोकसभा एक ऐसी सीट है, जहां बसपा 1998, 2004 और 2009 में लगातार लोकसभा चुनाव जीत चुकी है। लेकिन 2014 के मोदी लहर में बसपा यह सीट हारी और उसके बाद 2019 में भी हारी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने नगीना और लालगंज लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। यह दोनों आरक्षित सीटें हैं।