बीजेपी का नया अध्यक्ष कौन होगा, यह सवाल पार्टी के अंदर और बाहर बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बीते चुनावों के कारण बढ़ाया गया था, लेकिन अब संगठन में नए अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द हो सकती है। दिसंबर तक बीजेपी के संगठनात्मक चुनाव पूरे हो जाएंगे, और माना जा रहा है कि इस बार पार्टी किसी दक्षिण भारतीय नेता को अध्यक्ष बना सकती है ताकि वहां पार्टी की पकड़ और मजबूत की जा सके। कर्नाटक में सत्ता गंवाने के बाद, बीजेपी अब दक्षिण के अन्य राज्यों में अपनी पकड़ बढ़ाना चाहती है।

साउथ इंडिया में पकड़ मजबूत करने पर जोर

संभावना है कि नया अध्यक्ष दिसंबर के पहले पखवाड़े में नियुक्त हो सकता है। पार्टी ने सभी राज्यों को दिसंबर के पहले सप्ताह तक संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है, ताकि इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सके। महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद संगठन चुनावों में तेजी लाई जाएगी। इस बार दक्षिण भारत से किसी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने पर भी चर्चा हो रही है, जिससे पार्टी का दक्षिण में विस्तार हो सके।

पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव आधे राज्यों में संगठनात्मक चुनाव के बाद ही हो सकता है। जनवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले नए अध्यक्ष की नियुक्ति जरूरी है, जिससे चुनाव अभियान पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। खरमास के चलते मध्य दिसंबर से जनवरी तक किसी शुभ काम की शुरुआत नहीं होगी, इसलिए नए अध्यक्ष की घोषणा दिसंबर तक संभावित है।

दक्षिण भारत से नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना अधिक है। पूर्व में अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी बंगारू लक्ष्मण और वेंकैया नायडू जैसे नेताओं को अध्यक्ष बनाया गया था। यह कदम पार्टी के दक्षिणी विस्तार और सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए उठाया जा सकता है, ताकि पार्टी का कोर वोटर आधार मजबूत हो।

संघ के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस समय सवर्ण समुदाय से किसी नेता को आगे लाकर सामाजिक संतुलन बनाए रखना चाहती है। संभावित अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों में मनोहर लाल खट्टर, देवेंद्र फडणवीस, धर्मेंद्र प्रधान, जी. किशन रेड्डी और शिवराज सिंह चौहान के नाम चर्चा में हैं, जो संगठनात्मक और राजनीतिक दृष्टिकोण से मजबूत माने जाते हैं।

चुनाव प्रक्रिया के बाद भाजपा का नया नेतृत्व पार्टी की आगामी चुनावी रणनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। खासकर दिल्ली और अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों से पहले नए अध्यक्ष की नियुक्ति पार्टी की मजबूती और विस्तार के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।