उस वक्त सुबह के 9 बजे थे, जब टीवी चैनल्स बिहार चुनाव में बीजेपी की जीत प्रोजेक्ट कर रहे थे। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 11 अकबर रोड स्थित अपने घर से लाल कृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की बधाई देने के लिए निकले थे। करीब एक घंटे बाद महागठबंधन ने 70 सीटों पर बढ़त बना ली थी। अमित शाह के करीबी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें हार का पहला संकेत उसी वक्त मिल गया था और करीब 10.30 जब अमित शाह आडवाणी के घर से लौटे, तब तक खेल लगभग खत्म हो गया था।
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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए यह अब तक की सबसे बड़ी हार थी। उन्होंने बिहार चुनाव के लिए 8 महीने दिन-रात एक कर काम किया था। ब्लड शुगर होने के बाद भी वह सिर्फ 3 घंटे ही नींद ले पाए। उनके करीबी ने कहा, ‘कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है कि उन्होंने इस चुनाव में कितनी ऊर्जा लगाई।’ आडवाणी के घर से वापस आने के बाद वह अपनी मां की तस्वीर के आगे दो मिनट खड़े हुए और संकट से लड़ने की शक्ति मांगी। शाह की मां का 2010 में देहांत हो गया था।
बिहार चुनाव में हार सुनिश्चित होने के बाद अनंत कुमार, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान भी अमित शाह के साथ आ गए। महागठबंधन के 140 का आंकड़ा पार करते ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह भी आ गए। इसके बाद सभी ने चर्चा की और उसमें जो बात निकली वह थी, ‘कास्ट, कास्ट और कास्ट पर आधारित वोटिंग’। इनकी बैठक में दो अहम बातें निकलकर सामने आईं।
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पहली- जब तक अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होता, तब तक गरीब मतदाता जाति के आधार पर वोट देता रहेगा, यह सोचकर कि उनकी जाति का नेता वादा निभाएगा। दूसरी-हम हमेशा से जानते थे कि कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू के पास जातिगत समर्थन था। हमने विकास के साथ हिंदू सेंटीमेंट्स की बात की, लेकिन फेल रहे। शाह के लंच में शामिल एक कैबिनेट मिनिस्टर ने कहा, ‘यह हार बताती है कि हम बिहार में सामाजिक आधार नहीं बढ़ा सके।’
सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष नेतृत्व ने बीजेपी प्रवक्ताओं को संघ प्रमुख मोहन भागवत (उनके आरक्षण संबंधी बयान से बीजेपी के कई नेताओं नाराज थे) का बचाव करने के लिए कहा था।
लंच के दौरान अमित शाह ने बिहार की हार को हलके में लेते हुए कैलाश विजयवर्गीय से कहा, ”लोकशाही में हार-जीत तो चलती रहती है… आप खाना खाइए।” अमित शाह ने अपनी टीम के नेताओं से कहा है कि पश्चिम बंगाल में चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए वह दिवाली के बाद एक मीटिंग बुलाएंगे। उन्होंने पार्टी के हारे हुए नेताओं के साथ ही बिहार के सभी जिलाध्यक्षों को भी बुलाने के लिए निर्देश दिया। शाह ने अपनी टीम के सदस्यों से कहा कि वे बिहार बीजेपी के कार्यकर्ताओं से कहें कि निराश होने की जरूरत नहीं है।
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अमित शाह के पास रविवार को दिनभर फोन आते रहे। कभी नरेंद्र मोदी तो कभी बाबा रामदेव, श्रीश्रीरविशंकर के साथ उनके परिवार के सदस्य भी कॉल करने वालों में शामिल रहे। शाह उनसे कहते- मैंने हिम्मत नहीं खोई है। मैं यह समझने की कोशिश करूंगा कि आखिर ग्राउंड पर क्या हुआ और कैसे हुआ। हम जल्दी ही आगे बढ़ेंगे। चिंता करने की जरूरत नहीं है। भगवान से प्रार्थना करते रहो। अमित शाह ने कई लोगों से यह भी कहा कि पार्टी का उन पर अब भी पूरा भरोसा है। कई फोन करने वालों को उनका जवाब था, ”मेरे पास अगले दो जन्म तक लगातार काम करते रहने की ऊर्जा है।”