दिल्ली चुनाव के बाद अब बिहार की ओर लोगों की नजरें पड़नी शुरू हो गई हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल (यू) और बीजेपी की सरकार को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। जदयू के विधायक जावेद इकबाल अंसारी ने शनिवार को रांची के रिम्स में आरजेडी नेता और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जावेद इकबाल अंसारी सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं।
पार्टी में कई मुद्दों पर आंतरिक मतभेद सामने आते रहे हैं। अभी हाल ही में बागी रुख अपनाने पर जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और पूर्व सांसद पवन वर्मा को पार्टी से निकाल दिया गया था। इसको लेकर भी काफी चर्चाएं हुईं। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का देशभर में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी में मुस्लिम नेताओं के मोहभंग की भी चर्चाएं चल रही हैं। खासकर आठ महीने बाद बिहार में विधानसभा का चुनाव होने हैं। जदयू का बीजेपी से गठबंधन है। पार्टी के अंदर इस मुद्दों को लेकर हलचल है।
पार्टी के मुस्लिम नेता का आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव से मुलाकात काे इसी रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि यह मुलाकात नीतीश कुमार और जदयू से मुस्लिम नेताओं के मोहभंग होने का संकेत है। रिम्स में मुलाकात के बाद विधायक जावेद इकबाल अंसारी ने कहा कि वे राजनीति में लालू प्रसाद यादव की ही उपज हैं।
उन्होंने साफ कहा कि बिहार की राजनीति में एक ओर एनडीए है तो दूसरी ओर लालू प्रसाद हैं, लेकिन अब बिहार को नए नेतृत्व की जरूरत है। हालांकि मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि किसी के जाने या नहीं जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। जनता नीतीश कुमार के नाम पर वोट करती है, लालू यादव यादव कुछ भी कर लें, इससे कुछ नहीं होगा।