बिहार में सियासी दलों की ओर से विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। यहां मुख्य रूप से इंडिया गठबंधन और राजग के घटक अपनी रीति-नीति के हिसाब से रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। इस बीच चर्चा है कि दोनों खेमों के सहयोगी दल अपने प्रमुख साझेदारों को ज्यादा सीट पाने की चाह में उलझाए हुए हैं। छोटे दल दबाव बनाने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी 20-30 सीट मांग रही है
बिहार में राजग में भाजपा और जद (एकी) के अलावा कई पार्टियां हैं। चर्चा है कि राज्य की 243 सीटों में से भाजपा और जद (एकी) 100-100 पर लड़ेंगे। यानी महज 43 सीट सहयोगियों के लिए बचेंगी। जबकि, राजग के घटक व केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम 20-30 सीट मांग रही है। वहीं, लोजपा (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की भी 40-50 सीट पर लड़ने की इच्छा है। इतना ही नहीं, रालोमो प्रमुख और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा के समर्थक भी 10-15 सीटें मांग रहे हैं। इस तरह घटक दलों की महत्त्वाकांक्षाएं राजग खेमे में हलचल मचाए हुए हैं।
इस संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी संजय मयूख ने कहा कि अभी टिकट का बंटवारा नहीं हो रहा है। किसे क्या मिलेगा, इस बारे में सही समय पर जानकारी दी जाएगी। उन्होंने इतना जरूर कहा कि बिहार में राजग पूरी तरह एकजुट है और मजबूती से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटा हुआ है। राजग में सीट को लेकर कोई उलझन नहीं है।
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इंडिया गठबंधन में भी कमोबेश राजग वाली स्थिति ही है। यहां राजद और कांग्रेस मुख्य घटक दल हैं। इनके साथ भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और वीआइपी हैं। बीते विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर चुनाव लड़कर 12 सीट जीतने वाली भाकपा (माले) की मंशा है कि वह इस बार कम से कम 40 सीट पर चुनाव लड़े। वहीं, भाकपा-माकपा भी 30-40 सीट पर लड़ना चाहते हैं। जबकि, मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी ने पहले ही 60 सीटों पर चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। इस प्रकार इंडिया गठबंधन में भी सीटों को लेकर मामला उलझता दिख रहा है। हालांकि, सीट बंटवारे को लेकर पैदा होने वाले विवाद से निपटने के लिए कोशिशें जारी हैं।
इस संदर्भ में राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवल किशोर ने कहा कि इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कोई विवाद नहीं है। समय आने पर सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन से जुड़े सभी दलों के नेता यह जानते हैं कि विचारधारा की लड़ाई को मजबूती से लड़ना है। जहां तक सीट बंटवारे का सवाल है तो वक्त आने पर सब कुछ सरल-सहज दिखेगा।