गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गद्दी संभालने वाले भूपेंद्र पटेल शपथ से पहले ही ऐक्शन में दिख रहे हैं। उन्होंने जामनगर जिले में भारी बारिश से प्रभावित 3 गांवों और पानी में फंसे सभी लोगों को तत्काल मदद पहुंचाने का आदेश जिला प्रशासन को दिया है। सीएम की तरफ से लोगों को एयर लिफ्ट करने के भी आदेश दिए गए हैं। बताते चलें कि गुजरात विधानसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम समय हैं, ऐसे में उनके सामने कई चैलेंज हैं।
कोरोना संकट: कोरोना महामारी ने गुजरात को काफी प्रभावित किया। हजारों लोगों की मौत इस दौरान हुई। ऑक्सीजन की कमी के कारण भी मौत की खबर मीडिया रिपोर्ट में देखने को मिले थे। ऐसे में इस महामारी से निपटने में और लोगों के बीच विश्वास स्थापित करने की चुनौती उनके सामने है।
पटेल मतदाताओं को पार्टी के साथ लाना: गुजरात में पटेल मतदाताओं को भारतीय जनता पार्टी का परंपरागत वोट माना जाता रहा है। हाल के वर्षों में हार्दिक पटेल के उदय के बाद इस बात को लेकर अटकलें लगायी जाती रही है कि पटेल मतदाता बीजेपी से दूर जा रहे हैं। ऐसे में उनके सामने ये सबसे बड़ी चुनौती है कि वो पार्टी को पाटीदार समुदाय का वोट दिलवाए। केशुभाई पटेल के बाद बीजेपी के पास पाटीदार समुदाय में मजबूत पकड़ रखने वाले नेता की कमी देखी जा रही है।
पार्टी में गुटबाजी का अंत: चुनाव से ठीक पहले कमान मिलने के बाद उनके सामने चुनौती है कि वो पार्टी में हर किसी को साथ लेकर चलें। पिछले 25 साल से शासन में होने के कारण पार्टी को गुजरात में सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना पड़ सकता है। पटेल समुदाय के अलावा अन्य मतदाताओं के बीच भी पार्टी के जनाधार को बचा कर रखना उनकी जिम्मेदारी होगी।
नेतृत्व के साथ रिश्ते को बचाकर रखना: गुजरात, भारतीय जनता पार्टी का सबसे पुराना किला रहा है। पार्टी के दो प्रमुख नेता अमित शाह और नरेंद्र मोदी गुजरात से ही आते हैं। ऐसे आरएसएस और आनंदी बेन पटेल के करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र पटेल को पार्टी के नेतृ्त्व के साथ बेहतर तालमेल बनाने की चुनौती भी होगी।