बीता सप्ताह ‘कांग्रेस घोषणापत्र’ के नाम रहा। सबसे पहले प्रधानमंत्री ने ही एक रैली में कांग्रेस के घोषणापत्र पर हमला बोला कि अगर ये सत्ता में आए तो हिंदुओं का सोना छीनकर मुसलमानों में बांट देंगे… मंगलसूत्र बांट दिया जाएगा! इसके बाद बहसों की गर्मी देखते ही बनती थी। एक कांग्रेस पक्षधर कहिन कि ये खुली सांप्रदायिकता है। दूसरे ने कहा कि ये भाषा देश के सर्वाेच्च पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देती। तीसरे कहे कि ये ध्रुवीकरण की कोशिश है… पहले दौर के कम मतदान से पैदा हुई निराशा है।

एक विश्लेषक कहिन कि ये ध्रुवीकरण कभी न कभी होना ही था, अब हो गया और क्या? एक पूछे कि क्या ये नए क्रांतिकारी अपनी संपत्ति को पहले बांटेंगे या दूसरों की लेकर ही बांटेंगे! एक अन्य कांग्रेस पक्षधर कहिन कि ये घोषणापत्र ‘क्रांतिकारी’ है। राहुल का कहना है कि यह देश में बराबरी लाने के लिए जरूरी है… हम करके रहेंगे… पहले जाति गणना करेंगे, फिर क्रांतिकारी कदम उठाएंगे! जवाब में एक भाजपा पक्षधर कहिन कि ये ‘माओ पोलपोट’ का घोषणापत्र है। दूसरे कहिन कि ये ‘लेनिन माओ’ का घोषणापत्र है। जिन्होंने जिंदगी भर मेहनत से कमाया उसकी संपत्ति छीनकर ये घुसपैठियों को दे देंगे। एक कहिन कि कांग्रेस आजकल ‘अर्बन नक्सलों’ के नियंत्रण में है। एक कांग्रेसी पूछे कि ये बताएं कि घुसपैठिए कौन हैं, तो जवाब आया कि रोहिंग्या हैं।

एक इस्लामी नेताजी एक रैली में गरजे कि क्या हम घुसपैठिए हैं! हमने ताजमहल दिया है… लाल किला दिया… ये मुल्क हमारा था है और रहेगा। एक भाजपा प्रवक्ता बोला कि कांग्रेस तो पहले ही देश को पांच बार बांट चुकी है। सैंतालीस में बांटा, फिर तब, तब और तब बांटा और ये अब फिर बांटने की सोच रहे हैं। एक एंकर कहिन कि ये मोदी जी का अपने कार्यकर्ताओं को ‘तिकतिकाने’ के लिए है। चैनल राहुल के घोषणापत्र वाले बयान को बार-बार बजाते रहे, जिसमें वे कहते दिखते कि हम जातिगणना कराएंगे… आर्थिक सर्वेक्षण कराएंगे… क्रांतिकारी कदम उठाएंगे।

एक एंकर ने हवाला दिया कि क्या संपत्ति का सर्वे कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति ही है! फिर कहा कि ये ‘अव्यावहारिक समाजवाद’ है… ये कांग्रेस का ‘एक खतरनाक आइडिया’ है। उसके बाद उसने इस पर केंद्रित एक जोरदार चर्चा भी की। एक अल्पसंख्यक नेताजी कहिन कि मोदी हिटलर की तरह बोल रहे हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी अपनी हर रैली में नए-नए तरीके से बोलते रहे। एक रैली में वे फिर गरजे कि साहबजादे विदेश से एक्सरे मशीन लाए हैं। वे कह रहे हैं कि आपकी जायदाद का एक्सरे करेंगे और अपने वोट बैंक को बांट देंगे।

एक एंकर की लाइन रही कि राहुल का यह कहना कि हम क्रांतिकारी कदम उठाएंगे। इसमें वे फंस सकते हैं। एक अन्य एंकर कहिन कि पहले जातिगणना की बात की, फिर संपत्ति गणना की बात की, फिर संपत्ति ‘वितरण’ की बात की। ये ‘वितरण’ शब्द अपने आप में चिंताजनक है। ‘वितरण’ को वे ‘ऐतिहासिक कर्तव्य’ कहते हैं। फिर एक एंकर ने लाइन दी कि ये ‘तुष्टीकरण का हारर’ है।

राहुल को समझना होगा कि आप लोगों के जीवन भर की गाढ़ी कमाई को यों ही नहीं बांट सकते। ये कांग्रेस का ‘आत्महत्यात्मक कदम’ है। इतने में सैम पित्रोदा का ‘विरासत टैक्स’ वाला उवाच कि ये टैक्स अमेरिका में है। पैसे वाले मृतक की कमाई का पचपन फीसद सरकार ले लेती है। सिर्फ पैंतालीस फीसद उसके वारिसों को मिलता है। यही भारत में होना चाहिए।

पित्रोदा का इतना बोलना था कि मोदी ने तुरंत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोेहन सिंह के ‘संपत्ति पर अल्पसंख्यकों का पहला हक’ वाले बयान, फिर राहुल के घोषणापत्र के एलान और पित्रोदा के इस बयान को जोड़ कर जड़ा कि अब ये विरासत पर भी कर लगाएंगे। जब ये तूफान आगे बढ़ा तो एक कांग्रेसी प्रवक्ता को कहना पड़ा कि पित्रोदा के बयान से कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं।

एक चैनल ने ‘हैशटैग’ मारा कि ये कांग्रेस का खतरनाक ‘स्नेच मनी’ षड्यंत्र है। ये ‘आत्महंता मिशन’ है। एंकर ने कहा कि आपकी संपत्ति छीन ली जाएगी… अल्पसंख्यकों को दे दी जाएगी। ये किसी भी प्रकार की उद्यमिता को खत्म कर देंगे। ये नीति ‘एंटी कैपिटलिस्ट’, ‘एंटी मार्केट’ और ‘एंटी ग्रोथ’ है।

इसी बीच एक दिन कर्नाटक से ‘लव जिहाद और हत्या’ बरक्स ‘प्रेम कहानी और हत्या’ की खबर चैनलों में छाई रही। मृतक नेहा के पिता एक चैनल पर आकर कहते दिखे कि ये ‘केरला स्टोरीज’ की तरह हुआ है… सीबीआइ जांच करे, लेकिन राज्य ने कहा कि उसकी पुलिस जांच के लिए काफी है। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने ‘सौ फीसद वीवीपैट पर्ची की मांग’ को खारिज करके विवाद को अंतिमत: शांत कर दिया। मोदी जी ने तुरंत कहा कि आज का दिन लोकतंत्र की विजय का दिन है। और क्यों न हो! शुक्रवार के दिन 88 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान सुबह से होता दिखा। बूथों पर भीड़ दिखी।