दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मामले मुख्यमंत्री को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। बेंच इस मामले में CBI द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई करेगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 अगस्त को उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।
अरविंद केजरीवाल ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्पेशल लीव पिटीशन दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को इस ही मामले में ED द्वारा की गई गिरफ्तारी को लेकर उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी। हालांकि 26 जून को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के कारण वे अभी भी जेल में हैं।
अरविंद केजरीवाल के लिए बड़ा दिन
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को मिली जमानत के बाद अरविंद केजरीवाल और उनके वकीलों को यह उम्मीद होगी की अदालत उन्हें भी राहत दे सकती है। केजरीवाल के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने दलील दी कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी एक ‘इंश्योरेंस अरेस्ट’ थी।
‘इंश्योरेंस अरेस्ट का सीधा मतलब यह निकाला जाता है कि किसी को एक मामले में रिहाई मिल जाए तो उसे तुरंत दूसरे मामले में जेल में डाल दिया जाए। यहां मामला एक था लेकिन एजेंसी दो थी। एक ED और एक CBI…जब उन्हें ED के मामले में रिहा किया गया तो CBI का मामला था जिसके तहत वह जेल में ही रहे। हालांकि इसका खंडन करते हुए सीबीआई ने दलील दी कि Prevention of Corruption Act के तहत उन्हें गिरफ्तार किया जाना जरूरी था।
सीएम केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और तब से वे हिरासत में हैं। 10 मई से 2 जून के बीच उन्हें लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी।
सीबीआई की गिरफ्तारी बनी थी बाहर निकलने में अड़चन
सुप्रीम कोर्ट ने जब 12 जुलाई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी की गिरफ्तारी के मामले में अंतरिम जमानत दी तो सबके ज़हन में सवाल था कि वह बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं? लेकिन उन्हें जेल से रिहा नहीं किया गया क्योंकि वह वर्तमान में उसी दिल्ली शराब नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में हैं।