Republic TV के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को 2018 में कथित तौर पर हुई एक आत्महत्या के मामले में गिफ्तारी के सात दिन बाद सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम बेल मिल गई थी। पर देश में कई ऐसे पत्रकार भी जिनका मामला न तो मुद्दा बनता है और न ही उनकी सही समय पर सुनवाई होती है। उन्हें और उनके परिवार को अभी भी न्याय की दरकार है।
ऐसे ही एक जर्नलिस्ट हैं- सिद्दकी कप्पन। वह मलयालम न्यूज वेबसाइट Azhimukham में कार्यरत हैं और पांच अक्टूबर, 2020 को उन्हें यूपी के मथुरा में अरेस्ट कर लिया गया था। वह उस दौरान हाथरस जा रहे थे, जहां 19 साल की एक दलित युवती की कथित रूप से गैंगरेप हुआ था। बाद में उस लड़की की दिल्ली के अस्पताल में मौत हो गई थी। छह अक्टूबर को केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) की ओर से मामले में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई है।
41 दिन बाद भी पत्रकार को न्याय न मिलने के मामले पर पीड़ित परिवार ने कहा, “यह दर्दनाक इंतजार है।” कप्पन दिल्ली में रहकर काम करते थे, पर फिलहाल यूपी की मथुरा की जेल में हैं। उनका परिवार केरल के मल्लापुरम में रहता है।
पत्नी रेहाना (37) ने बताया, “यह सुनने के बाद कि अर्णब को बेल मिल गई है, मैं यह सोचने पर मजबूर हो गई कि मेरे पति को न्याय नहीं दिया गया। गिरफ्तारी के बाद कोर्ट और जेल प्रशासन ने हमें उनसे (पति) से मिलने तक नहीं दिया है। हमें उनके बारे में कुछ नहीं पता है। एक शब्द तक सुनने को नहीं मिला, ये कितना भयावह है। हम न्यायपालिका और विभिन्न स्तर पर सरकार के पास गए, पर हमें न्याय मिलना अभी बाकी है। क्या हम इस देश के नागरिक नहीं हैं?”
बकौल रेहाना, “मुझे लगता है कि न्यायपालिका ने हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया है। बराबरी से न्याय नहीं दिया जाता है। ये सबके लिए नहीं है, कुछ के लिए है। अर्णब गोस्वामी के मामले में सब चीजें कैसे तेज-तेज हुईं?”
उन्होंने आगे बताया- मेरे पति के खिलाफ लगाए गए आरोप आधारहीन हैं। टैक्सी हायर (हाथरस कांड को कवर करने के लिए) करने के लिए उनके पास पैसे ही नहीं थे। उन्होंने दोस्तों से कहा था कि अगर कोई वहां जाए, तो उन्हें खबर कर दे। इस तरह वह अन्य तीन लोगों के साथ मिले और उनके साथ गिरफ्तार किए गए।
रेहाना के मुताबिक, सिद्दीकी की 90 साल की मां खदीजा को उनकी गिरफ्तारी के बारे में नहीं मालूम है। हमने उन्हें बताया है कि सिद्दीकी दिल्ली में हैं और वह घर जल्द आएंगे। हम खुशकिस्मत हैं कि उनमें Alzheimer (भूलने की बीमारी) के लक्षण हैं। जब भी वह उनके बारे में पूछती हैं, तो हम उनसे कह देते हैं कि कल जब आप सो रही थीं, तब हमने उनसे (सिद्दीकी) बात की थी।
पति को न्याय दिलाने के लिए रेहाना कई राजनेताओं से भी मिलीं। सबने मदद के लिए हां कही, पर किया कुछ नहीं। उन्होंने बताया, “मैं अब टूट चुकी हूं, पर अपने तीन बच्चों के लिए लड़ने का निश्चय कर रखा है।”
41 साल के कप्पन पर यूपी पुलिस का आरोप है कि उन्होंने और उनके साथ Campus Front of India (CFI) के तीन सदस्य हाथरस कांड में धार्मिक वैमनस्य को फैलाने से जुड़ी ‘साजिश’ का हिस्सा थे। इन्हें विभिन्न धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिसमें UAPA और राजद्रोह भी शामिल है।