चुनाव आयोग ने 1 मई को ऐलान कर दिया कि वह 21 मई को महाराष्ट्र में विधान परिषद की नौ सीटों पर चुनाव कराएगा। इसके लिए विस्तृत कार्यक्रम बाद में जारी किया जाएगा। इन नौ में से एक सीट पर उद्धव ठाकरे का जीतना जरूरी है। अगर वह नहीं जीते तो मुख्यमंत्री नहीं रह पाएंगे। उद्धव चाहते थे कि इस कोरोना संकट-काल में उन्हें राज्यपाल मनोनीत सदस्य बना दें। नियमानुसार शपथ लेने के छह महीने के भीतर मुख्यमंत्री को किसी सदन का सदस्य जरूर बन जाना चाहिए। उद्धव ठाकरे के छह महीने मई में ही पूरे हो रहे हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र विधान परिषद की 24 अप्रैल को खाली हुई नौ सीटों पर 27 मई से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के लिए 21 मई को मतदान होगा।बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बृहस्पतिवार को आयोग से विधान परिषद की रिक्त हुई सीटों पर चुनाव कराने का अनुरोध किया था। इस पर आयोग ने कोरोना संकट के मद्देनज़र चुनाव कराने पर लगाई गई पाबंदी में विशेष परिस्थियों का हवाला देते हुए ढील दी है।
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के 28 मई से पहले राज्य विधानमंडल का सदस्य बनने की संवैधानिक अनिवार्यता को देखते हुए आयोग ने यह फ़ैसला किया है। आयोग के इस फ़ैसले से ठाकरे के लिए विधानमंडल का सदस्य बनने के लिये चुनाव लड़ने का रास्ता साफ़ हो जाएगा। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के मुख्य सचिव ने आयोग को भरोसा दिलाया है कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश का पालन करते हुए विधान परिषद की रिक्त सीटों पर मतदान कराया जाएगा।
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बता दें कि विधान परिषद के चुनाव में विधानसभा सदस्य ही मतदान करते है। संविधान के प्रावधानों के मुताबिक़ ठाकरे के लिए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधान मंडल के किसी सदन का सदस्य होने की अनिवार्य समयसीमा 28 मई को समाप्त हो रही है। ठाकरे ने पिछले साल 28 नवंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
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