Rashtriya Swayamsevak Sangh: देश में भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी को लेकर राजनीतिक पार्टियों को बीच जब बहस छिड़ी हो इस वक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की संचार शाखा (Communication Wing) ने बड़ा दावा किया है। आरएसएस की कम्युनिकेशन विंग के अनुसार, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने 1940 में महाराष्ट्र के सतारा में आरएसएस की एक शाखा का दौरा किया था। उन्हें संघ के प्रति ‘सहानुभूति’ की भावना महसूस हुई।

संघ की मीडिया शाखा ने अपने बयान में यह भी उल्लेख किया कि 1934 में महात्मा गांधी ने भी एक शाखा का दौरा किया था। आरएसएस की संचार शाखा विश्व संवाद केंद्र (वीएसके) के विदर्भ प्रांत ने गुरुवार को इन दावों के साथ एक बयान जारी किया। बता दें, आरएसएस अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है।

85 साल पहले RSS शाखा में गए थे भीमराव आंबेडकर

आरएसएस की संचार शाखा ने दावा किया कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने अपनी यात्रा के दौरान कहा था कि कुछ अलग-अलग विचारों के बावजूद, वह आरएसएस को अपनेपन की भावना से देखते हैं। भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर ने 85 साल पहले आरएसएस की एक शाखा का दौरा किया था। वीएसके ने कहा कि अपने संबोधन में डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि हालांकि कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं, लेकिन मैं संघ को अपनेपन की भावना से देखता हूं।

RSS की मीडिया शाखा ने भी अपने दावे के सबूत दिए

विश्व संवाद केंद्र ने बताया कि 9 जनवरी 1940 को पुणे स्थित मराठी दैनिक ‘केसरी’ ने डॉ. अंबेडकर के आरएसएस शाखा में जाने की खबर प्रकाशित की थी। विश्व संवाद केंद्र ने अपने दावों के साथ खबर की क्लिपिंग को भी प्रमाणित किया।

रिपोर्ट में आरएसएस विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी की लिखी किताब ‘डॉ. अंबेडकर और सामाजिक क्रांति की यात्रा’ का हवाला दिया गया है। इसमें आरएसएस और डॉ. अंबेडकर के बीच संबंधों के बारे में बताया गया है। किताब के आठवें अध्याय की शुरुआत में ठेंगड़ी कहते हैं कि डॉ. अंबेडकर को आरएसएस के बारे में पूरी जानकारी थी।

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वीएसके ने पुस्तक के हवाले से कहा कि डॉ. अंबेडकर यह भी जानते थे कि आरएसएस हिंदुओं को एकजुट करने वाला एक अखिल भारतीय संगठन है। वह यह भी जानते थे कि हिंदुत्व के प्रति वफादार संगठनों और हिंदुओं को एकजुट करने वाले संगठनों और आरएसएस के बीच अंतर है। आरएसएस के विकास की गति को लेकर उनके मन में संदेह था। इस दृष्टि से, डॉ. अंबेडकर और आरएसएस का विश्लेषण करने की आवश्यकता है।

वीएसके ने अपने बयान में यह भी कहा कि इन दावों से यह आरोप गलत साबित हो गया है कि संघ सिर्फ़ ब्राह्मणों के लिए है। इसने कहा कि महात्मा गांधी 1934 में वर्धा में आरएसएस शिविर में आए थे, जहां उन्होंने महसूस किया कि संघ में विभिन्न जातियों और धर्मों के स्वयंसेवक हैं।

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