राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में कब्जे को लेकर जंग जारी है। चाचा शरद पवार (Sharad Pawar) और भतीजे अजित (Ajit Pawar) दोनों ही इस मामले को लेकर चुनाव आयोग पहुंच चुके हैं। मामला अब चुनाव आयोग के हाथ में है। चुनाव आयोग को तय करना है कि पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह का असली हकदार कौन है। कुछ ऐसी ही जंग उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में देखने को मिली थी जब पार्टी पर दावे को लेकर अखिलेश यादव खुद अपने पिता के ही विरोध में खड़े हो गए थे। 2017 में चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ गया कि पार्टी चिन्ह को लेकर दोनों खेमे इलेक्शन कमीशन के पास पहुंच गए। तब मुलायम सिंह यादव, पूर्व मंत्री शिवपाल यादव, अमर सिंह और जया प्रदा के साथ चुनाव आयोग के दफ्तर में पहुंचे और पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल पर अपना दावा किया। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव अब पार्टी के सदस्य नहीं है और उन्होंने गैर संवैधानिक तरीके से पार्टी पर कब्जा कर रखा है। इसके बाद अखिलेश यादव की तरफ से राम गोपाल ने चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखा।

कैसे बढ़ती गई मुलायम-अखिलेश के बीच कलह

29 दिसंबर 2015 – पहली बार पार्टी की अंदरूनी कलह सार्वजनिक रूप से देखने को मिली थी जब शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री के तीन करीबी नेताओं को एंटी पार्टी गतिविधियों में शामिल होने के कारण बर्खास्त कर दिया था इसके बाद ही ये कयास लगाये जाने लगे कि अखिलेश यादव सैफई महोत्सव में नहीं आयेंगे।

1 जनवरी 2016 – अखिलेश यादव सैफई महोत्सव के चौथे दिन कार्यक्रम में शामिल हुए।

2 जून 2016 – अखिलेश यादव ने कैबिनेट मिनिस्टर बलराम यादव को मुख़्तार अंसारी की पार्टी से गठबंधन करने के कारण बर्खास्त कर दिया और इसके बाद से ही समाजवादी पार्टी के अंदर गहमा गहमी बढ़ गई। 25 जून को समाजवादी पार्टी ने मुख़्तार अंसारी की पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया।

27 जून 2016 – बलराम यादव को फिर से कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। शपथग्रहण समारोह में शिवपाल यादव मौजूद थे जबकि अखिलेश यादव इससे दूर रहे।

14 अगस्त 2016 – शिवपाल यादव ने पार्टी नेताओं पर जमीन खरीद फरोख्त का इल्जाम लगाते हुए इस्तीफा देने की धमकी दी। मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को चेताया कि अगर शिवपाल यादव इस्तीफा देते है तो पार्टी दो भागों में टूट जाएगी।

13 सितंबर 2016 – अखिलेश यादव ने मुख्य सचिव दीपक सिंघल जो शिवपाल यादव के करीबी थे, उनको बर्खास्त कर दिया। मुख्य सचिव अमर सिंह के बुलावे पर दिल्ली में एक कार्यक्रम में सम्मलित हुए। यह अखिलेश यादव को नागवार गुजरा। मुलायम सिंह और अमर सिंह की मुलाकात के बाद मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। इसका बदला लेते हुए अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के सभी करीबियों को सरकारी पदों से हटा दिया।

14 सितंबर 2016 – शिवपाल यादव ने सैफई में अपने समर्थकों के साथ एक विशाल रैली निकाली। मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव को फोन कर दिल्ली में मिलने बुलाया। अखिलेश यादव ने इन सभी घटना के पीछे अमर सिंह को दोषी ठहराया।

15 सितंबर 2016 – शिवपाल यादव ने सभी सरकारी और पार्टी के पद से इस्तीफा दे दिया। अखिलेश यादव ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। इसी घमासान के बीच मुलायम सिंह दिल्ली से लखनऊ आते हैं और दोनों के बीच सुलह कराने की कोशिश करते हैं।

16 सितंबर 2016 – मुलायम सिंह यादव लखनऊ आकर शिवपाल यादव का इस्तीफा लेने से मना कर देते हैं और शिवपाल के करीबियों को फिर से सरकार में शामिल कर लिया जाता है।

15 अक्टूबर 2016 – मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी की अंदरूनी कलह की बात को नकार देते है लेकिन वहीं अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री चेहरा पर चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को नकार भी देते है।

30 दिसंबर 2016 – अखिलेश यादव समानांतर रूप से उमीदवारों की लिस्ट निकालते हैं। इसके बाद मुलायम सिंह अखिलेश यादव को पार्टी से 6 साल के लिए बर्खास्त कर देते हैं। अगले ही दिन अखिलेश यादव 200 विधायकों के साथ मीटिंग करते हैं और उनको फिर से पार्टी में रख लिया जाता है।

1 जनवरी 2017 – अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिए जाते हैं और मुलायम सिंह यादव को मार्गदर्शक बना दिया जाता है। मुलायम सिंह यादव ने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाए जाने की प्रक्रिया को गैरकानूनी बताया।

2 जनवरी 2017 – मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया और पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल पर अपना दावा किया।

16 जनवरी 2017 – मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का रवैया मुसलमानों की तरफ नकारात्मक है। अगर मुख्यमंत्री उनकी बात नहीं मानते हैं तो वो अपने बेटे के खिलाफ ही लड़ेंगे।

11 मार्च 2017 – अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश चुनाव हार जाते हैं और अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं लेकिन उन्होंने हार की जिम्मेदारी नहीं ली।

1 अप्रैल 2017 – रैली में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव पर हार का ठीकरा फोड़ा। उन्होंने कहा कि जो अपने बाप का ना हो सका वो किसी का भी नहीं हो सकता है।

3 मई 2017 – शिवपाल यादव ने कहा कि अगर अखिलेश यादव मुलायम सिंह को पार्टी की कमान नहीं देते हैं तो वो समाजवादी पार्टी छोड़ कर एक नई पार्टी बनाएंगे।