कृषि बिलों को लेकर संसद से उच्च सदन राज्यसभा में रविवार को विपक्ष के जोरदार हंगामे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह सिर्फ ‘किसानों को भ्रमित करने की कोशिश’ थी। उनके मुताबिक, “मैं भी किसान हूं। ऐसे में मैं ऐसा बिल्कुल भी सोच सकते हैं कि सरकार किसी भी सूरत में अन्नदाताओं का अहित करेगी।” उन्होंने ये बातें कैबिनेट के पांच साथियों के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले कहीं, जिसमें राज्यसभा में हंगामे को लेकर सरकार की ओर से कृषि बिल पर चीजें स्पष्ट की गईं और विपक्ष पर निशाना साधा गया।
सिंह बोले, “चलिए, मान लेते हैं कि वे (विपक्षी दल, जिनकी सुनी नहीं जा रही थी) जो कह रहे हैं। सही कह रहे हैं, पर क्या तब भी हिंसक तरीके से या फिर कुर्सी से कूद कर या माइक तोड़ना उचित है?” बकौल राजनाथ, “उपसभापति के साथ किया गया दुर्व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण था। उनकी कुर्सी के पास बढ़ना, रूल बुक को फाड़ना, राज्यसभा या लोकसभा के इतिहास में ऐसी स्थिति कभी नहीं रही।” मंत्री ने आगे कहा, “उनके व्यवहार से संसद की गरिमा को ठेस पहुंची है और यह उनके लिए खुद का एक आईना है।”
जारी रहेगी MSP- राजनाथः सिंह ने कहा, “मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा विपणन समिति जारी रहेगी। इसे किसी भी कीमत पर हटाया नहीं जा सकता है।” रक्षा मंत्री के अलावा प्रकाश जावड़ेकर, प्रह्लाद जोशी, पीयूष गोयल, थाावरचंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विपक्षी दलों के राज्यसभा सदस्यों पर जमकर हमला बोला। इस दौरान सिंह ने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसे रवैये की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
ये सिर्फ़ आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह नहीं बल्कि देश के किसान की आवाज़ है जो आने वाले वक्त में तानाशाही को वाक़ई मुर्दाबाद करके दिखाएगी. https://t.co/I29GVw0qrc
— Manish Sisodia (@msisodia) September 20, 2020
‘नहीं समझ पाए थे डिप्टी चेयरमैन की कार्रवाई’: उधर, कांग्रेस ने राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश सिंह की गतिविधियों/कार्रवाइयों पर सवालिया निशान लगाए। इसमें सत्तारूढ़ भाजपा के साथ मिलीभगत करने और वोटों के विभाजन के लिए सदस्यों के मौलिक अधिकारों से इन्कार का का आरोप था। शाम को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पार्टी के राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा, “सदन की समझ के बिना, डिप्टी चेयरमैन ने चंद सेकेंड्स के भीतर इस बिल को पारित करने के लिए बढ़ा दिया। हमने अभी तक इस तरह की चीज सदन में नहीं देखा थी। हम डिप्टी चेयरमैन की इस कार्रवाई को समझ नहीं पाए…एक सदस्य के मौलिक अधिकार को रोका गया।”
कौन सी साजिश हुई है?- वेणुगोपाल का सवालः उन्होंने कहा, “आश्चर्यजनक रूप से हमने देखा कि भाजपा सदस्य डिप्टी चेयरमैन के पास जा रहे थे। वे डिप्टी चेयरमैन के साथ फुसफुसा रहे थे। संसदीय मंत्री नहीं, बल्कि उनके अलावा बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव भी डिप्टी चेयरमैन के कान में फुसफुसाए। क्या साजिश की गई है?” वेणुगोपाल के मुताबिक, “यह काफी अस्वीकार्य संसदीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। संसदीय लोकतंत्र में सरकार के पास रास्ता है, हम सहमत हैं, पर हमारा कहना है कि आप विपक्षी आवाज नहीं सुन रहे हैं।”
2 किसान बिलों पर मुहर, RS में विपक्ष का जबरदस्त हंगामाः कृषि क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों को राज्यसभा ने विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच रविवार को ध्वनि मत से अपनी मंजूरी दे दी। सरकार द्वारा इन दोनों विधेयकों को देश में कृषि क्षेत्र से जुड़े अब तक के सबसे बड़े सुधार की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है। राज्यसभा में, विधेयकों की गहन जांच पड़ताल के लिए उन्हें सदन की एक समिति को भेजे जाने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा किया।
Lok Sabha में पहले ही पास हो चुके थे बिलः उच्च सदन में हुए हंगामे के कारण थोड़े समय के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। बाद में सदन ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी। ये विधेयक लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी है। इस प्रकार इन विधेयकों को संसद की मंजूरी मिल गई है, जिन्हें अब राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जायेगा और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाने पर इन्हें अधिसूचित कर दिया जाएगा।
PM ने बताया ‘ऐतिहासिक दिन’, कांग्रेस ने कहा- ‘काला दिवस’: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन विधेयकों के पारित होने को भारतीय कृषि के इतिहास में ‘‘ऐतिहासिक दिन’’ करार दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये विधेयक कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाएंगे और इससे किसानों की आय दागुनी करने के प्रयासों को मजबूती मिलेगी। इसी बीच, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विधेयकों को पूरी तरह खारिज करते हुए इन्हें किसानों के लिए ‘‘मौत का वारंट’’ करार दिया और इसे ‘‘लोकतंत्र में काला दिन’’ बताया। (PTI-Bhasha इनपुट्स के साथ)