देशभर में किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने संसद के शीत सत्र को कोरोनावायरस महामारी का हवाला देते हुए रद्द कर दिया। हालांकि, इसे लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर संसद में किसान आंदोलन और चीनी घुसपैठ के मुद्दे पर चर्चा कराने की अपील की थी और अब सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी भाजपा पर तंज कसा है।

प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर दो स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कहा कि अमित शाह बंगाल में एकदम करीब खड़े हजारों लोगों की रैली में हिस्सा ले रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार कोरोनावायरस का बहाना बनाकर संसद का शीत सत्र रद्द कर रही है। क्या इस दोगलेपन की कोई सीमा नहीं है? एक और ट्वीट में उन्होंने आरोप लगाया कि शाह बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के कोविड-19 के सभी नियमों को तोड़ रहे हैं, जबकि सरकार कोरोना की वजह से संसद सत्र को रद्द कर रही है। मोदी और शाह असल में लोकतंत्र को ही बर्बाद कर रहे हैं।

अपने अगले ट्वीट में भूषण ने कहा कि सरकार एक तरफ संसद को बंद रख रही है और दूसरी तरफ एक हजार करोड़ की लागत वाली संसद की नई बिल्डिंग की नींव रख रही है। इसके अलावा एक नए सेंट्रल विस्टा और पीएम हाउस के लिए 14 हजार करोड़ खर्च कर रही है। तुगलक?

प्रशांत भूषण के अलावा शिवसेना नेता संजय राउत ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने शीत सत्र को इसीलिए रद्द कर दिया, ताकि वह देश में कृषि कानून के मुद्दे पर जारी किसान आंदोलन पर चर्चा से बच जाएं। राउत ने कहा कि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल भी अपनी पूरी ताकत से राजनीतिक विरोधियों को हराने का काम करते थे, पर वे हारे हुए विपक्षियों का भी सम्मान करते थे। मोदी और उनके साथियों को चर्चिल का उदाहरण अपने दिमाग में रखना चाहिए।