अपने विज्ञापनों को लेकर एक बार फिर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार निशाने पर है। विपक्ष का आरोप है कि जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों से केजरीवाल सरकार अपना महिमामंडन कर रही है। आप के पूर्व नेता प्रशांत भूषण ने तो इसे सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाने की बात कही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सिर्फ सूचना और प्रचार के लिए 526 करोड़ रुपए रखा है और पिछले साल इस मद में सिर्फ 24 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। जबकि उससे पिछले साल इस मद पर केवल 25 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया था। उनका कहना है कि खुद के प्रचार पर जनता का पैसा खर्च करना भ्रष्टाचार के समान है।
वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय की अगुआई में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल नजीब जंग से मिल कर केजरीवाल सरकार की ओर से किए जा रहे सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने की मांग की है। भाजपा ने कहा कि दिल्ली के करदाताओं के पैसे से दिल्ली के बजाए देश भर में दिल्ली सरकार के प्रचार को भाजपा सबसे बड़ा भ्रष्टाचार मानती है।
अजय माकन ने कहा कि उन्होंने विभिन्न अन्य ढांचागत विकास कार्यों के बजट में कटौती की और वे अपने पार्टी कार्यकर्ताओं व सलाहकारों पर पैसे खर्च कर रहे हैं। क्या खुद के प्रचार पर अधिक पैसे खर्च करना एक तरह का भ्रष्टाचार नहीं है। आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता प्रशांत भूषण ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है।
उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार का नया एफएम रेडियो विज्ञापन अदालत की अवमानना है और इस मुद्दे को जल्द ही सुप्रीम कोर्ट की नोटिस में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार का लाया गया विज्ञापन पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के 13 मई के आदेश का उल्लंघन करता है।
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यह सोचना कि आप रेडियो विज्ञापन के जरिए कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि इसपर आपकी तस्वीर नहीं लगी होती, यह अदालत के फैसले पर गलतफहमी होगी। अगर रेडियो विज्ञापन का इस्तेमाल किसी पार्टी, सरकार या राजनीतिक नेता के प्रचार और उसे बढ़ावा देने के लिए किया गया है तो यह अदालत के फैसले का उल्लंघन होगा और इसे जल्द ही अदालत की नोटिस में लाया जाएगा।
पिछले ही महीने अखबारों और टीवी चैनलों पर लगातार कई दिनों तक विज्ञापन किए जाने पर सभी दलों ने एक सुर में आप की निंदा की थी। आप की तब सफाई थी कि भाजपा सरकार की लोकप्रियता से जल रही है। इसलिए उसके हर काम का विरोध कर रही है। विज्ञापनों पर उठे इस ताजा विवाद पर फिलहाल आप ने चुप्पी साध रखी है।