बॉडी के सभी पार्ट्स को सुचारू रूप से काम करने के लिए हार्मोन्स का संतुलित होना जरूरी है। हार्मोन शरीर का केमिकल मैसेंजर है जो शारीरिक,मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार है। हार्मोन्स बॉडी के जरूरी कामकाज जैसे भूख लगना, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, मेटाबोलिज्म, स्लीप साइकिल,बॉडी के विकास, मूड और ऊर्जा लेवल को कंट्रोल करने के लिए जरूरी हैं। बॉडी के लिए जरूरी इन हॉर्मोन्स में थोड़ा सा भी असंतुलन हो जाए तो शरीर की सामान्य गतिविधियों पर इसका असर दिखने लगता है।

कॉर्टिसोल बॉडी का एक जरूरी हॉर्मोन है जिसका कम और ज्यादा होना दोनों ही सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। कोर्टिसोल, स्टेरॉयड हार्मोनों में से एक है जिसका निर्माण एड्रेनल ग्लैंड द्वारा होता है। शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में कोर्टिसोल रिसेप्टर्स होते हैं। कोर्टिसोल शरीर की कई कोशिकाओं में मौजूद होता है जिसके कार्य अलग-अलग होते हैं। कोर्टिसोल हॉर्मोन तनाव का अहसास कराता है। ये हॉर्मोन ब्लड शुगर और मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करता है। सूजन कम करने में और याददाश्त को बढ़ाने में ये हॉर्मोन जरूरी है।

ये हॉर्मोन शरीर में नमक और पानी के संतुलन को बनाए रखता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। ये हॉर्मोन महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान भूर्ण के विकास में योगदान देता है। अच्छी सेहत के लिए इस हॉर्मोन की खास अहमियत है। अब सवाल ये उठता है कि इस हॉर्मोन की कमी और अधिकता का असर सेहत पर कैसा पड़ता है।

कोर्टिसोल हॉर्मोन्स के बढ़ने से सेहत को होने वाला खतरा

आयुर्वेदिक और युनानी दवाओं के एक्सपर्ट डॉक्टर सलीम जैदी के मुताबिक तनाव कोर्टिसोल हॉर्मोन को बढ़ाता है। इस हॉर्मोन को संतुलित रखने के लिए तनाव से दूर रहना जरूरी है। इस हॉर्मोन के बढ़ने से कुशिंग सिंड्रोम की समस्या हो सकती है जिसमें चेहरे, पेट और छाती पर तेजी से फैट बढ़ने लगता है। स्ट्रेस हॉर्मोन के बढ़ने से ऑस्टियोपोरोसिस और मूड स्विंग होने की परेशानी बढ़ सकती है। इस हॉर्मोन के बढ़ने से वजन बढ़ने,स्किन पतली और मुहांसे होने,घावों का जल्दी नहीं भरने,मांसपेशियों के कमजोर होने,चिड़चिड़ापन या अधिक गुस्सा महसूस होना,नींद में खलल होने,चिंता और घबराहट होने का खतरा अधिक रहता है।

कोर्टिसोल हॉर्मोन्स के कम होने से सेहत को होने वाला खतरा

कोर्टिसोल हॉर्मोन्स के कम होने से चेतना की कमी,डिहाइड्रेशन,भ्रम,पेट में अचानक या गंभीर दर्द, पीठ के निचले हिस्से या पैरों में दर्द होने जैसे लक्षण हो सकते हैं।

कोर्टिसोल हॉर्मोन लेवल को कंट्रोल करने के उपाय

  • कोर्टिसोल हॉर्मोन लेवल को कंट्रोल करने के लिए आप रोजाना अच्छी नींद लें। अच्छी नींद आपका तनाव दूर करती है और इस हॉर्मोन का लेवल संतुलित करती है। समय से नियामित रूप से नींद लेकर आप इस हॉर्मोन को संतुलित कर सकते हैं।
  • इस हॉर्मोन को संतुलित करने के लिए रेगुलर एक्सरसाइज करें। योगा और ध्यान करने से इस हॉर्मोन को संतुलित रखा जा सकता है।
  • तनाव और चिंता लेने से बचें। उम्र बढ़ने के साथ ये हॉर्मोन बढ़ने लगता है इसलिए आप तनाव से दूर रहें।
  • कोर्टीसोल को कंट्रोल करने के लिए आप योगा करें और लम्बी सांस लें। अनुलोम विलोम आसन करें ये हॉर्मोन संतुलित रहेगा।
  • अपनी पसंदीदा गतिविधियों में भाग लें
  • विटामिन-सी कोर्टिसोल को कम करने में मदद कर सकता है। डाइट में विटामिन सी से भरपूर फूड्स का सेवन करें।
  • शराब इस हॉर्मोन को बढ़ाती है इसलिए इससे परहेज करें।