Tips for Pregnant Women: गर्भावस्था का वक्त हर महिला के लिए खास होता है, उन्हें कई नए अनुभव होते हैं। गर्भवती औरतें कई शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरती हैं। साथ ही, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं भी हो सकती हैं। ये महिलाएं कई बार जेस्टेशनल डायबिटीज की चपेट में आ जाती हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि गर्भावधि मधुमेह प्रेग्नेंसी और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को प्रभावित करता है। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना सकती है। बता दें कि जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा होता है।

कितना शुगर लेवल है सही: अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन  के अनुसार गर्भवती महिलाओं का शुगर लेवल बिना खाए 95 mg/dL या उससे कम होना चाहिए। खाने के एक घंटे के बाद 140 mg/dL या उससे कम होना चाहिए। खाने के दो घंटे बाद प्रेग्नेंट महिलाओं का रक्त शर्करा 120 mg/dL होना चाहिए।

किन बातों का ध्यान रखें: स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावधि मधुमेह का खतरा 24 से 28 हफ्तों में ज्यादा होता है। गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि उन्हें हर 3 महीने पर शुगर जांच कराना चाहिए। वहीं, जेस्टेशनल डायबिटीज की मरीजों को दिन में कम से कम 4 बार शुगर लेवल चेक कराना चाहिए।

क्या हो सकती है परेशानियां: डायबटीज से पीड़ित महिलाओं के लिए गर्भावस्‍था अधिक चुनौतीपूर्ण और जटिल होता है। इस वजह से उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, प्री-एक्लेम्पसिया और प्लेसेंटा प्रेविया जैसी परेशानी हो सकती है। ये महिलाएं भविष्य में भी डायबिटीज की चपेट में आ सकती हैं।

अजन्मे शिशु भी होते हैं प्रभावित: मधुमेह की वजह से बच्चे कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। वहीं, रिसर्च के अनुसार गर्भावधि के दौरान महिलाओं में डायबिटीज की वजह से बच्चों का वजन अधिक होता है जिस कारण प्रसव के दौरान नवजात में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इससे शिशु में सेरेब्रल पाल्सी का खतरा बढ़ता है। जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण बच्चों में दिल की बीमारी होने का खतरा भी रहता है।

कैसे कंट्रोल करें मधुमेह: गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का ब्लड शुगर कंट्रोल में रहना बहुत जरूरी है। प्रेग्नेंसी में क्रेविंग होना लाजिमी है लेकिन अगर डाइट में कुछ खास फूड्स शामिल करेंगे तो ब्लड शुगर कंट्रोल में रहेगा। मूंगफली, मखाना, ग्रीक यॉगर्ट या सैडविच जैसे स्नैक्स खाने से डायबिटीज का खतरा कम होगा।