थायराइड मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बीमारी है, जिसमें थायराइड हार्मोन का स्राव असंतुलित हो जाता है और शरीर के अंदर की कई क्रियाओं में भी गड़बड़ी हो जाती है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान अगर यह समस्या होती है तो यह मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। इस बीमारी में वजन अचानक से बढ़ने लगता है और व्यक्ति रोज के कामकाजों में रुचि नहीं लेता है। इसके अलावा यदि आपको बहुत अधिक थकावट महसूस होती है तो थायराइड टेस्ट जरूर करवा लें। कोई भी लापरवाही स्वास्थ्य और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। आइए जानते हैं प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड की समस्या हो रही है तो क्या करें-
प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड कितना होना चाहिए?
– पहली तिमाही: 0.1 कम होता है और 2.5 अधिक होता है
– दूसरी तिमाही: 0.2 कम होता है और 3.0 अधिक होता है
– तीसरी तिमाही: 0.3 कम होता है और 3.0 अधिक होता है
प्रेग्नेंसी के दौरान क्यों होता है हाइपरथायराइडिज्म: हाइपरथायरायडिज्म आमतौर पर ग्रेव्स डिजीज के कारण होता है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी कोशिकाओं और अंगों की रक्षा करने के बजाय उसपर हमला करती है। इस वजह से शरीर का रासायनिक संतुलन बिगड़ जाता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड के लक्षण:
– थकावट महसूस होना
– मिचली
– उल्टी
– हार्ट बीट तेज हो जाना
– भूख में कमी आती है
– अधिक ठंड लगना
थायराइड बढ़ने पर क्या खाएं:
– रोजाना हल्दी वाला दूध पीना थायराइड को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसके अलावा यदि आप हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहती हैं तो हल्दी को भूनकर खाएं।
– दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा जूस मिलाकर पिएं। इससे भी थायराइड की समस्या कंट्रोल हो सकती है।
– नियमित रूप से योग और एक्सरसाइज जरूर करें।
– रोजाना सुबह खली पेट लौकी का जूस पिने से भी थाइराइड खत्म करने में मदद मिलती है। जूस पीने के आधे घंटे तक कुछ खाएं पिए नहीं।
– बादाम और अखरोट में सेलीनीयम तत्व मौजूद होता है जो थायराइड के इलाज में फायदा करता है। इस के सेवन से गले की सूजन से भी आराम मिलता है।