‘बटर चिकन’ ये शब्द सुनने भर से नॉन वेज खाने के शौकीन लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। इसका मलाईदार और हल्का मसालेदार स्वाद लोगों को खूब पसंद आता है, उसपर टमाटर की प्यूरी इस डिश को और लजीज बनाने का काम करती है। खैर, खाने के शौकीन इस स्वाद को तो यकीनन पहचानते होंगे लेकिन क्या आपको ये पता है कि आखिर मुंह में पानी ले आने वाली ये डिश आई कहां से है? यानी बटर चिकन को सबसे पहले कहां और किसने बनाया था?

अगर नहीं, तो यहां हम आपको इसके पीछे की दिलचस्प कहानी बता रहे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर Butter Chicken आया कहां से-

बड़ी दिलचस्प है ये कहानी

कहा जाता है कि बंटवारे से पहले पाकिस्तान के पेशावर में मोखा सिंह लांबा अपना एक छोटा सा ढाबा चलाया करते थे। वहीं, उनके इस ढाबे में कुंदन लाल गुजराल बतौर शेफ काम किया करते थे। एक दिन गुजराल को यूंही दही में मैरीनेट किए हुए चिकन को तंदूर में डालकर पकाने का ख्याल आया। उन्होंने ऐसा किया भी। अब, जब बाद में उन्होंने इस चिकन को चखा तो उन्हें इसका स्वाद खूब पसंद आया और यहां से प्रसिद्ध ‘तंदूरी चिकन’ का निजात हुआ।

विभाजन के बाद कुंदन लाल गुजराल भारत चले आए और यहां उन्होंने दिल्ली में एक रेस्टोरेंट शुरू किया, जिसे आज ‘मोती महल’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि, उस समय ये उतना बड़ा नहीं हुआ करता था। दिल्ली आकर उन्होंने तंदूरी चिकन बनाना जारी रखा। हालांकि, फिर एक दिन उनके मन में ख्याल आया कि इस तरह तंदूर में पकाया गया चिकन बहुत जल्दी सूख जाता है। ऐसे में फिर उन्होंने चिकन में टमाटर की ग्रेवी के साथ मक्खन और क्रीम मिलाने का सोचा। इस तरह इस डिश का स्वाद और अधिक बढ़ गया और इस तरह से ‘बटर चिकन’ का निजात हुआ।

फिर क्यों हुई लड़ाई?

अब, ये तो थी एक कहानी। हालांकि, फिर साल 2023 में शार्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) के एक एपिसोड में, दरियागंज रेस्टोरेंट के मालिक पहुंचे। यहां उन्होंने दावा किया कि असल में बटर चिकन का निजात उनके पूर्वज कुंदन लाल जग्गी ने किया है। इस दावे के अनुसार, 1947 में पेशावर के एक शरणार्थी कुंदन लाल जग्गी ने दरियागंज में रेस्टोरेंट शुरू किया था, इस रेस्टोरेंट में उन्होंने बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया था।

इस दावे के बाद कुंदन लाल गुजराल और कुंदन लाल जग्गी के वंशजों के बीच कानूनी विवाद छिड़ गया, जो अभी तक जारी है। कुंदन लाल गुजराल और कुंदन लाल जग्गी दोनों ही शेफ पेशावर से थे, उनका पहला और मध्य नाम एक ही था और उन्होंने मोती महल की सह-स्थापना की थी। इन सब बातों के चलते बटर चिकन की असली उत्पत्ति का पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो गया। वैसे स्थानीय पेशावर निवासी कुंदन लाल गुजराल को बटर चिकन के आविष्कारक के रूप में पहचानते हैं।

अब, ये मुकदमा कौन जीतेगा ये तो देखने वाली बात होगी लेकिन फिलहाल बटर चिकन का लजीज स्वाद आपको मोती महल और दरियागंज दोनों ही रेस्टोरेंट में मिल जाएगा।

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